भगवान शिव का रूप कहे जाने वाले इस योगी का जन्म नहीं बल्कि उत्पत्ति हुई थी !
भारत में कई तरह के गुरु और महापुरुषो से जुड़ी बाते कहानी और मिथ्या पढ़ने और सुनने को मिलती है.
एक ऐसे ही महानपुरुष जिनका जन्म बिना स्त्री गर्भ के हुआ और बाद में वह महापुरुष के सिद्ध योगी के नाम से प्रसिद्ध हुए.
उस सिद्ध पुरुष के जन्म से जुड़ी बातें आश्चर्यजनक और रहस्यमय है क्योकि उसका जन्म नही बल्कि उसकी उत्पति हुई थी.
यह सिद्ध पुरुष किसी जीव के गर्भ से जन्म नहीं लिया बल्कि एक पदार्थ से उत्पन्न हुए थे.
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इस महा पुरुष का नाम बाबा गोरखनाथ था.
बाबा गोरखनाथ को ऐसे योग सिद्ध गुरु थे, जिन्होंने हठयोग परम्परा की शुरुआत की.
बाबा गोरखनाथको भगवान शिव का रूप कहा जाता है.
बाबा गोरखनाथ का जन्म महापुरुषों और विद्वानों के लिए शुरू से ही विचारणीय मुद्दा रहा है, क्योंकि बाबा गोरखनाथ का जन्म किसी स्त्री के गर्भ से नहीं हुआ था.
वास्तव में गोरखनाथ को उनके गुरु मत्स्येन्द्रनाथ का मानस पुत्र कहा जाता है. गोरखनाथ गुरु मत्स्येन्द्रनाथके सबसे प्रिय शिष्य थे.
मान्यता के अनुसार गुरु मत्स्येन्द्रनाथ एक बार भिक्षा मांगने एक गाँव में गए.
उस गाँव में गुरु मत्स्येन्द्रनाथ जिसके यहाँ भिक्षा मांगे थे, उस स्त्री का कोई बच्चा नहीं था इसलिए उस स्त्री ने आशीष में पुत्र उत्पति की याचिका की.
उस स्त्री के याचना से गुरु मत्स्येन्द्रनाथ का दिल पिघल गया और उस स्त्री की प्रार्थना स्वीकार करते हुए गुरु मत्स्येन्द्रनाथ ने उसको मन्त्र पढ़कर एक चुटकी भभूत दी और पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद देकर वहां से चले गए.
लगभग बारह साल के बाद गुरु मत्स्येन्द्रनाथ उसी गाँव में दोबारा आये और उस स्त्री को दिए आशीर्वाद के साथ उसके बच्चे को स्मरण करते हुए उस स्त्री के घर जा पहुंचे.
उस घर में दरवाजे के बहार खड़े होकर स्त्री को आवाज़ लगाकर बाहर बुलाया और उससे उसके पुत्र उत्पत्ति के बारे में पूछा और उस बच्चे को दिखाने को कहा.
वह स्त्री गुरु मत्स्येन्द्रनाथ के सिद्धि से अनजान थी इसलिए संकोचवश गुरु मत्स्येन्द्रनाथ द्वारा दी हुई भभूत खाने की जगह गोबर में फेक दिया था.
गुरु मत्स्येन्द्रनाथ की सिद्धि इतनी ताक़तवर थी कि उसका भभूत निष्फल हो ही नहीं सकता था.
स्त्री ने अपने पुत्र उत्पन्न ना होने की बात बताते हुए उस भभूत को गोबर में फेकने की बात कह दी.
उसकी बात सुनकर गुरु मत्स्येन्द्रनाथ उस जगह जाकर गोबर के स्थान से बालक को आवाज़ लगाया.
गुरु मत्स्येन्द्रनाथ के आवाज़ से उस गोबर वाली जगह से एक बारह वर्ष सुंदर आकर्षक बालक बहार आया और हाथ जोड़कर गुरु मत्स्येन्द्रनाथ के सामने खड़ा हो गया.
जिसको गुरु मत्स्येन्द्रनाथ अपने साथ लेकर चले गए और यही बालक बड़ा होकर अघोराचार्य गुरु गोरखनाथ बने और विश्व में प्रसिद्ध हुए.
तो मान्यताओं के आनुसार बाबा गोरखनाथ का जन्म स्त्री के गर्भ से नहीं बल्कि गोबर से हुआ था.