राम नाम में कितनी शक्ति होती है इस बात का आप एक जीता-जागता उदाहरण अलवर रोड़ पर मौजूद बाबा गरीब नाथ के मंदिर में देख सकते हैं.
सबसे पहले यहाँ यह जानना जरुरी है कि यह मंदिर एक ऊँचे पहाड़ की चोटी पर बना हुआ है. पहाड़ भी ऐसा वैसा नहीं है यह पहाड़ कुछ बड़े- बड़े पत्थरों का है.
इन विशालकाय पत्थरों को नीचे से देखने भर पर शरीर में अजीब सी हलचल होने लगती है. कुछ बड़े-बड़े पांच पत्थर हैं जो अगर नीचे आ जाएँ तो पूरा का पूरा गाँव बर्बाद कर दें.
लेकिन राम नाम की महिमा देखिये कि पत्थरों पर राम नाम लिखा हुआ है और यह जस के तस खड़े हुए हैं.
इन्हीं के ऊपर पूरा मंदिर बना हुआ है.
मंदिर तक नसीबों वाले जाते हैं
इस मंदिर तक पहाड़ के ऊपर जाकर बाबा के दर्शन करने कर किसी को नसीब नहीं हो पाते हैं. मंदिर का इतिहास आसपास के लोग काफी पुराना बताते हैं. कुछ लोग इस मंदिर को 100 सालों से भी पुराना बताते हैं. एक संत महात्मा (बाबा हरिनाथ जी महाराज) यहाँ पर तपस्या करने आये थे बाद में उन्हीं ने यहाँ भोले बाबा का मंदिर स्थापित किया. इन पत्थरों को देखकर जब सब डर रहे थे तो बाबा ने राम नाम लिखकर पत्थरों को हमेशा के लिए स्थिर कर दिया.
मंदिर तक चढ़ने में आपको कुछ 100 ही सीढ़ियों को चढ़ना पड़ता है. यह काम यहाँ लिखना और पढ़ना बहुत आसान है लेकिन यहाँ एक-एक कदम बिना बाबा की कृपा के आप रख नहीं सकते हैं. मंदिर तक पहुँचने तक दिल की धड़कन इतनी तेज हो जाती है कि जैसे कि हमारा दिल बाहर आ जायेगा.
गुफा में शिव भगवान और माँ पार्वती
मंदिर के पत्थर बेशक राम नाम के सहारे टिके हुए हैं लेकिन यहाँ पर जो एक और शक्तिशाली ताकत है वह बाबा शिव भगवान है. पहाड़ पर दो गुफा हैं जिसमें एक वक़्त में एक ही व्यक्ति जा सकता है और इन गुफाओं में शिव और पार्वती जी विराजमान हैं.
कहते हैं कि मंदिर में मांगी हर जायज मांग पूरी हो जाती है. यहाँ पर बाबा जी को शोर-शराबा पसंद नहीं है इसीलिए बाबा जी पहाड़ पर बैठे हुए हैं. बीमार लोगों की बीमारियाँ तो सीढ़ियों को चढ़ते वक़्त ही सही हो जाती हैं. बाकी जब यहाँ पत्थरों पर राम लिखा हुआ पढ़ा जाता है तो उससे भी मनुष्य को आश्चर्यजनक लाभ प्राप्त हो जाता है.
अंत में आपको बता दें कि अगर आप यहाँ बाबा के दर्शन करना चाहते हैं तो यह मंदिर अलवर (राजस्थान) जाने वाले रास्ते पर शामदा गाँव पर पड़ता है.