बाबा अमरनाथ यात्रा, अमरनाथ गुफा भगवान शिव के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है.
अमरनाथ को तीर्थों का तीर्थ कहा जाता है, क्योंकि यहीं पर भगवान शिव ने मां पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था.
आइए आज हम आपको बताते हैं बाबा अमरनाथ यात्रा से जुड़ी अन्य 10 आश्चर्यजनक बातें.
1. पवित्र गुफा में बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग निर्मित होने की वजह से इसे स्वयंभू हिमानी शिवलिंग कहते हैं. आषाढ़ पूर्णिमा से लेकर पूरे सावन महीने तक इस पवित्र हिमलिंग के दर्शन के लिए यहां लाखों लोग आते हैं.
2. गुफा की परिधि लगभग डेढ़ सौ फुट है और इसमें ऊपर से बर्फ के पानी की बूंदें जगह-जगह टपकती रहती हैं जिससे लगभग दस फुट लंबा ठोस बर्फ शिवलिंग बनता है. चन्द्रमा के घटने-बढ़ने के साथ-साथ इस बर्फ का आकार भी घटता-बढ़ता रहता है. श्रावण पूर्णिमा को यह अपने पूरे आकार में आ जाता है.
3. यह कश्मीर के श्रीनगर शहर से 135 किमी दूर समुद्रतल से 13,600 फुट की उंचाई पर स्थित है. इस गुफा की लंबाई 19 मीटर और चौड़ाई 16 मीटर है. गुफा 11 मीटर उंची है.
4. इसी गुफा में माता पार्वती को भगवान शिव ने अमरकथा सुनाई थी, जिसे सुनकर सद्योजात शुक-शिशु शुकदेव ऋषि के रूप में अमर हो गये थे. गुफा में आज भी श्रद्धालुओं को कबूतरों का एक जोड़ा दिखाई दे जाता है, जिन्हें श्रद्धालु अमर पक्षी बताते हैं. वे भी अमरकथा सुनकर अमर हुए हैं.
5. ऐसी मान्यता भी है कि जिन श्रद्धालुओं को कबूतरों का जोड़ा दिखाई देता है, उन्हें शिव पार्वती अपने प्रत्यक्ष दर्शनों से निहाल करके उस प्राणी को मुक्ति प्रदान करते हैं.
6. कुछ विद्वानों का मत है कि भगवान शंकर जब पार्वती को अमर कथा सुनाने ले जा रहे थे, तो उन्होंने छोटे-छोटे अनंत नागों को अनंतनाग में छोड़ा, माथे के चंदन को चंदनबाड़ी में उतारा, अन्य पिस्सुओं को पिस्सू टॉप पर और गले के शेषनाग को शेषनाग नामक स्थल पर छोड़ा था. ये तमाम स्थल अब भी अमरनाथ यात्रा में आते हैं.
7. अमरनाथ गुफा का सबसे पहले पता सोलहवीं शताब्दी के पूर्वाध में एक मुसलमान गडरिए को चला था जिसके चलते आज भी चौथाई चढ़ावा उस मुसलमान गडरिए के वंशजों को मिलता है.
8. पहलगाम जम्मू से 315 किलोमीटर की दूरी पर है. यह विख्यात पर्यटन स्थल भी है और यहां का नैसर्गिक सौंदर्य देखते ही बनता है. पहलगाम तक जाने के लिए जम्मू-कश्मीर पर्यटन केंद्र से सरकारी बस उपलब्ध रहती है.
9. पहलगाम के बाद पहला पड़ाव चंदनबाड़ी है, जो पहलगाम से आठ किलोमीटर की दूरी पर है. पहली रात तीर्थयात्री यहीं बिताते हैं. यहां रात्रि निवास के लिए कैंप लगाए जाते हैं. इसके ठीक दूसरे दिन पिस्सु घाटी की चढ़ाई शुरू होती है.
10. कहा जाता है कि पिस्सु घाटी पर देवताओं और राक्षसों के बीच घमासान लड़ाई हुई जिसमें राक्षसों की हार हुई. लिद्दर नदी के किनारे-किनारे पहले चरण की यह यात्रा ज्यादा कठिन नहीं है. चंदनबाड़ी से आगे इसी नदी पर बर्फ का यह पुल सलामत रहता है.
ये हैं बाबा अमरनाथ यात्रा के कुछ रहस्यम और तथ्य, इन्हें आपको पता होना जरूरी है.
जीवन में एक बार सनातनी व्यक्ति को बाबा अमरनाथ यात्रा जरूर करनी चाहिए.
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