बाली उम्र – उम्र का सोलहवां साल बहुत खास होता है, तभी तो इसपर बॉलीवुड में कई गाने भी बन चुके हैं.
आपने अक्सर सुना होगा कि लोग 10 साल की उम्र को बाली उम्र कहते हैं, लेकिन क्या कभी सोचा की ऐसा क्यों कहा जाता है. दरअसल, इस उम्र में कई बदलाव होते हैं जिसमें फिजिकल चेंजेस भी शामिल है. इस उम्र के बच्चों की फीलिंग भी बदलने लगती है. बचपन और जवानी की दहलीज़ पर कदम रखने वाले इस इस साल में बहुत कुछ बदल जाता है.
चलिए आज हम आपको बताते हैं कि आखिर इस उम्र को बाली उम्र क्यों कहते हैं.
- सब नया- इस अवस्था मे बच्चे एक अलग दौर से गुजरते हैं जिसमें उनको अपने आस-पास की हर चीज अलग लगती है. उन्हें सब कुछ नया लगता है. उन्हें ऐसा महसूस होता है जैसे दुनिया का कोई भी काम वो आसानी से कर सकते हैं।.ऐसा माना जाता है कि इस उम्र में इंसान के अंदर सबसे ज्यादा ऊर्जा होती है इसी वजह से दुनिया को देखने का नजरिया बिलकुल बदल जाता है.
- बनने संवरने की उम्र- 16 साल की उम्र में ज्यादातर बच्चे या तो दसवीं में होते हैं या फिर ग्यारहवी में. इसी वजह से उन पर पढ़ाई का बोझ बढ़ जाता है. घर,स्कूल हर जगह उन्हें आने वाले भविष्य के लिए ठीक तरह से पढ़ाई में मन लगाने की सलाह दी जाती है जिसकी वजह से उन पर दबाव बढ़ जाता है. ऐसे में कुछ बच्चे सफल हो जाते हैं तो कुछ असफल. इसी वजह से माना जाता है कि यही उम्र उनके आने वाले भविष्य की नींव रखती है.
- गलतियों की अनदेखी- इस उम्र में अक्सर बच्चों से गलतियां हो जाती है. जिसे कि माता-पिता बाली उम्र होने की वजह से माफ कर देते हैं. लेकिन माता-पिता को इस उम्र में बच्चों को अच्छे काम करने के लिए प्रेरित करना चाहिए ताकि वो बड़े होकर एक अच्छे इंसान बन सकें.
- प्यार का अहसास- यह वही उम्र होती है जब ज्यादातर बच्चों को अपने पहले प्यार का एहसास होता है. इस उम्र में अपोजिट सेक्स के प्रति आकर्षण होना आम बात होती है. इस उम्र में उनके द्वारा बनाए गए रिश्ते उनके मानसिक विकास में अहम भूमिका निभाते हैं क्योंकि इससे मिलने वाले अच्छे-बुरे सबक वो ज़िंदगी में कभी नहीं भूलते.
- भावनात्मक विकास- इस उम्र में बच्चों के अंदर अलग-अलग भावनाओं का विकास होता है.
इस तरह से इस उम्र को बाली उम्र कहते है – इस उम्र में आए बदलाव ही बच्चों के भविष्य की दिशा तय करते हैं.