भारत में हर साल 14 नवंबर का दिन बाल दिवस के रुप में मनाया जाता है.
बाल दिवस का यह बेहद खास दिन पूरी तरह से बच्चों के लिए समर्पित होता है.
14 नवंबर को जन्मे भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को बच्चों से बेहद प्यार था और बच्चे भी उन्हें प्यार से चाचा नेहरू कहकर पुकारते थे. इसलिए उनके जन्मदिन को बाल दिवस के रुप में मनाया जाता है.
बाल दिवस के दिन देशभर के स्कूलों में खास कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं लेकिन बाल दिवस की खुशी क्या होती है ये कभी आपने उन बच्चों से जानने की कोशिश की है, जिनका बचपन बाल मजदूरी की बेड़ियों में जकड़ा हुआ है.
क्या बाल दिवस पर नहीं है इन बच्चों का हक ?
हमारा और आपका मन तो वैसे ही अपने बच्चों को बाल दिवस पर खुश देखकर आनंदित हो जाता है लेकिन देश के उन बच्चों का क्या जो अपना पूरा बचपन बाल मजदूरी के दलदल में फंसकर गुज़ार देते हैं. आखिर ये बच्चे बाल दिवस की खुशी मनाने से अक्सर महरूम क्यों रह जाते हैं.
गरीबी, लाचारी और माता-पिता की प्रताड़ना के चलते आज भी देश के कई ऐसे बच्चे हैं जो बाल मजदूरी के दलदल में फंसे हुए हैं. इन बच्चों का समय स्कूल में कॉपी-किताबों और दोस्तों के बीच नहीं बल्कि होटलों, घरों, कंपनियों में बर्तन धोने और झाडू-पोछा करने में बीतता है.
भारत में हैं सबसे ज्यादा बाल मजदूर
देश में बाल मजदूरी के हालात में सुधार लाने के लिए सरकार ने साल 1986 में चाइल्ड लेबर एक्ट बनाया था जिसके तहद बाल मजदूरी एक अपराध माना गया. बावजूद इसके देश के हर गली और चौराहे पर कई बाल मजदूर मजदूरी करते नज़र आ ही जाते हैं.
आंकड़ों के मुताबिक दुनिया भर में करीब 215 मिलियन ऐसे बच्चे हैं जिनकी उम्र 14 साल से भी कम है और वो बाल मजदूरी करने को मजबूर हैं. बात करें भारत की तो यहां हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं क्योंकि दुनिया भर की तुलना में सबसे ज्यादा बाल मजदूर भारत में ही हैं.
हालांकि कई एनजीओ बाल मजदूरी के खिलाफ अपनी मुहिम चला रहे हैं. कई गैर सरकारी संगठनों के मुताबिक 50.2 फीसदी ऐसे बच्चे हैं जो हफ्ते में सातों दिन काम करते हैं. 53.22 फीसदी बच्चे यौन प्रताड़ना के शिकार हो रहे हैं.
जबकि 50 फीसदी बच्चे शारीरिक प्रताड़ना के शिकार हो रहे हैं.
बाल मजदूरी के खिलाफ करें अपनी आवाज बुलंद
देश से बाल मजदूरी का खात्मा करने के लिए सबसे पहले गरीबी को खत्म करना ज़रूरी है. इसके लिए सरकार को कुछ और कड़े कदम उठाने होंगे. साथ ही इसमें आम जनता को भी अपना सहयोग देना होगा.
इसके लिए देश के हर नागरिक को बाल मजदूरी के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करनी होगी. देश के आर्थिक रुप से सक्षम नागरिक अगर ऐसे एक बच्चे की भी जिम्मेदारी उठाने को तैयार हो जाएं तो देश का नज़ारा कुछ और ही होगा.
तो आइए इस बाल दिवस पर उन बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लाने की कोशिश की जाए जिन्हें सच में इसकी ज़रूरत है और ये संकल्प करें कि हम देश में बाल मजदूरी करने वाले बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए अपना अहम योगदान देंगे.