दोस्तों इस बात से तो हम सभी भली-भांति वाकिफ हैं कि राज्यों में शराबबंदी के बावजूद सस्ती और अच्छी शराब हर जगह उपलब्ध है.
दोस्तों शराब के नुकसान से तो हर कोई अच्छे से वाकिफ है. ऐसे में गुजरात के एक शिक्षक ने आयुर्वेदिक शराब बनाया है, जो लोगों के बीच काफी पसंद किया जा रहा है.
गौरतलब है कि गुजरात के पालीताना के रहने वाले इस शिक्षक ने आयुर्वेदिक शराब बनाने का काम कर लोगों को चौंकाने का काम किया है.
शिक्षक ने अपने इस देशी दारू का नाम भूवड़ देसी दारू रखा है. इसकी बिक्री का अभियान शुरु किया. अपने इस अभियान की शुरुआत उन्होंने 2 अक्टूबर से की थी और अब तक 200 से ज्यादा लोग इस देसी दारू का सेवन कर चुके हैं.
शरारती पानी
दोस्तों शायद हीं आप जानते हों कि शराब का असली नाम शरारती पानी है. शराब तो अरबी भाषा का शब्द है. लेकिन आब का अर्थ पानी होता है. और शरीर से शरारती बना है. अतः इन दोनों शब्दों का हिंदी में अर्थ निकलता है, शरारत पैदा करने वाला पानी. दोस्तों ये शरारती झगड़ों को पैदा करने वाला तो होता है हीं, साथ हीं आपके स्वास्थ्य के लिए भी काफी नुकसानदेह होता है.
लेकिन अब गुजरात के शिक्षक ने आयुर्वेदिक शराब बनाने का काम करके लोगों को बेहद ही नायाब तोहफा देने का काम किया है.
शिक्षक नाथूभाई चावड़ा ने इस आयुर्वेदिक शराब को बनाने के लिए गोमूत्र अर्क, तुलसी और चीकू नाम के मीठे फल का उपयोग किया है. साथ हीं नाथूभाई का ये भी मानना है कि असली शराब को छोड़ने के लिए हमारा बनाया हुआ ये आयुर्वेदिक शराब बहुत हीं ज्यादा असरदार इलाज है.
अब तक 200 से ज्यादा शराब के आदी लोग इसे अपना चुके हैं.
दोस्तों जैसा कि आप जानते हैं कि जिन्हें शराब पीने की लत लगी होती है, उनके लिए उसे छोड़ पाना बेहद मुश्किल भरा होता है. उनकी इसी मानसिकता को ध्यान में रखते हुए नाथू भाई ने इस आयुर्वेदिक शराब को बनाया है और इस देशी आयुर्वेदिक शराब का गांजा, दारू और अफीम नाम दिया गया है. इसे पीने से लोगों को नशा का एहसास तो होगा, लेकिन स्वास्थ्य पर इसका कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा. लोग आसानी से अपनी शराब पीने की बुरी आदत को छोड़ सकेंगे. इतना ही नहीं, यहां इस शराब को बनाने का तरीका भी सिखाया जाता है. अब तक 200 से ज्यादा शराबी व्यक्ति इसे अपना कर शराब को छोड़ चुके हैं.
दोस्तों नाथू भाई ने न सिर्फ इस आयुर्वेदिक शराब को बनाया है. बल्कि उन्होंने गुटखा और तंबाकू छुड़ाने के लिए भी नीम, अरुसी, तेजपत्ता, कत्था और तुलसी से आयुर्वेदिक गुटखा भी बनाया है और साथ हीं उन्होंने बरियाली, अरुसी, जेठीमध तथा तेजपत्ता से आयुर्वेदिक बीड़ी भी बनाने का काम किया है. इसी तरह हिमज और मुलेठी से एक विशेष तरह की छिंकनी तैयार की है. इतने पर हीं नाथू भाई नहीं रुके. उन्होंने नशाखोरी को रोकने की खातिर करियात पानी, पीपर मूल, चीनी और हिमज से आयुर्वेदिक अफीम भी तैयार की है.
मानना पड़ेगा दोस्तों नाथू भाई के हुनर और उनकी सकारात्मक सोच को.
अगर हमारे देश में नाथू भाई जैसे लोग हो तो भला कोई अपनी बुरी आदतों से मुक्ति कैसे ना पाए.
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