जम्मू कश्मीर में सेना के हाथों एक बाद एक मोर्चें पर मार खा रहे आतंकवादियों ने सैन्य कैंपों पर हमला करने के लिए अब एक नई रणनीति अपनाई है.
29 नवंबर को जम्मू क्षेत्र के नगरोटा स्थित सेना के शिविर में आतंकवादियों ने घुसकर सैन्य कैंपों पर हमला था उसकी जांच में जो तथ्य सामने आए हैं उससे पता चला है कि आतंकवादियों ने सैन्य परिसर में प्रवेश से पहले मुख्य द्वार पर खड़े पहरेदार को मारने के लिए साइलेंसर लगे हथियार का प्रयोग किया था.
आत्मघाती आतंकवादियों द्वारा जम्मू कश्मीर राज्य में हमला करने के लिए पहली बार इस रणनीति को अपनाया है. साइलेंसर लगे हथियारों का प्रयोग इसलिए किया गया ताकि परिसर में किसी को गोलियों की आवाज न सुनाई दे. क्योंकि गोली की आवाज आने पर अन्य सैन्य परिसर की सरुक्षा तैनात अन्य संतरी अलर्ट हो जाते और आतंकियों को परिसर के द्वार पर ही मार गिराते. गौरतलब है कि उरी हमले के बाद सेना ने अपने परिसरों की सुरक्षा बढ़ा दी है.
इन परिसरों में आतंकियों के घुसने के सभी रास्तों पर सेना की कड़ी चौकशी है, जिसको देखते हुए सैन्य कैंपों पर हमला करना आतंकियों के लिए आसान नहीं रह गया था. इससे हताश आतंकियों ने अब ये नई तरकीब निकाली है कि वे साइलेंसर लगे हथियारों से सेना पर हमले कर रहे हैं ताकि ऐसा कर कश्मीर में खत्म होते आतंकवाद को दुनिया के सामने किसी प्रकार जीवित रखा जा सके.
बताया जाता है कि आतंकियों ने नगरोटा सैन्य कैंपों पर हमला किया उसमें उन्होंने अंदर घुसने के लिए सबसे पहले साइलेंसर लगे हथियार से पहरेदार को निशाना बनाया.
जब तक सेना को पहरेदार के गिरने का पता चला तब तक आंतकी भागकर सेना के शिविर में अंदर प्रवेश कर गए.
गौरतलब है कि शिविर में सुरक्षा कारणों से अधिकतर क्षेत्र में अंधेरा रखा जाता है ताकि आतंकी या दुश्मन रोशनी में सैन्य शिविर की लोकेशन न ले सके.
नगरोटा के सेना के शिविर में हमला हुआ वहां सेना का तोपखाना हैं. जैसे ही यहां आतंकवादियों के घुसने का पता लगा तो उनकी तलाश के वहां रोशनी की गई तब तक आतंकवादी पास की दो मंजिला इमारत में घुस चुके थे. 3 आतंकवादियों के साथ करीब चार घंटे चली मुठभेड़ में सभी आतंकियों मारे गए. इसमें सेना के 2 अधिकारियों सहित 7 सैनिक भी शहीद हो गए.
भारत द्वारा उरी हमले के बाद की गई सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान की ओर से भारतीय सेना के मनोबल को गिराने के लिए लगातार इस प्रकार की कोशिशें की जा रही हैं.
इसके पहले सीमापर गोली में शहीद सैनिकों के शवों के साथ अमानवीयता और बर्बता की घटना भी पाकिस्तान की फौज की इसी रणनीति का हिस्सा है.