देशभर के पांच राज्यों में चुनाव होने वाले हैं लेकिन तीन राज्यों राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव बिल्कुल सिर पर आ चुके हैं।
ऐसे में सियासी पार्टियों में घमासान जोरों पर है। लंबे समय से तीनों राज्यों में वनवास काट रही कांग्रेस को अब सत्ता में वापस आने की उम्मीद है तो वहीं बीजेपी अपने गढ़ में फिर से सत्ता हांसिल करने को बेताब है।
लेकिन इस बार राज्यों में चुनाव में राजस्थान राज्य से कांग्रेस के लिए खुशखबरी आना लगभग तय माना जा रहा है। ऐसे में हम बात कर लेते हैं अन्य दो चुनावी राज्यों यानि की छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश की।
आइए जानते हैं कि छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश राज्यों में चुनाव में कांग्रेस के लिए क्या है खास।
तीनों राज्यों में सबसे पहले छत्तीसगढ़ में चुनाव होने वाले हैं। कुल 90 सीटों वाले इस विधानसभा क्षेत्र में दो चरणों में 12 नवंबर और 20 नवंबर को मतदान होगें। प्रथम चरण में नक्सल प्रभावित विधानसभा क्षेत्रों जैसे की सुकमा, दंतेवाड़ा, बस्तर आदि कुल 18 सीटों पर चुनाव होने वाला है जबकि दूसरे चरण में शेष 78 सीटों पर चुनाव होगा। 12 नवंबर को होने वाले चुनाव में राजनांदगांव में भी वोटिंग होने वाली है जहां से सीएम रमन सिंह चुनाव लड़ने वाले हैं।
इस विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला को टिकट दिया है।
इन विधानसभा क्षेत्रों से कांग्रेस को तकरीबन 12 सीटें मिलने की उम्मीद है,ऐसा इसलिए क्योंकि इन राज्यों में बीजेपी के लिए लोगों की खासी नाराजगी है। छत्तीसगढ़ में तीसरी पार्टी के रूप में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जो कि पूर्व सीएम अजीत जोगी की पार्टी है, बहुजन समाज पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है। अगर गठबंधन सरकार बनती है तो जोगी की पार्टी का अहम रोल हो सकता है। छत्तीसगढ़ के ओपिनियन पोल्स की मानें तो यह साफ नहीं है कि सरकार कौन बनाएगा लेकिन कांग्रेस को वोट प्रतिशत और सीटों के हिसाब से काफी फायदा होने वाला है और इस चुनाव में 40-42 सीटें मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। छतीसगढ़ चुनाव में कांग्रेस ने किसी भी व्यक्ति को सीएम चेहरे के रूप में आगे नहीं किया है।
इसका सीधा सा मतलब ये ही है की अगर कांग्रेस चुनाव जीत जाती है तो सारा श्रेय कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को जाए ताकि 2019 के चुनाव में उन्हें सीधा फायदा मिलें।
वहीं मध्यप्रदेश में 28 नवंबर को 230 विधानसभा सीटों पर मतदान होना है।
मध्यप्रदेश में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर है। कांग्रेस को अभी भी दिग्विजय सिंह के कर्मों का नुकसान भुगतना पड़ रहा है और देखा जाए तो दिग्गी राजा के कारण ही कांग्रेस को मध्यप्रदेश में इतना वनवास झेलना पड़ा। अब चुनाव की कमान ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ के हाथ में है लेकिन सीएम का उम्मीदावार कांग्रेस ने यहां भी नहीं खड़ा किया है। इसके दो कारण है पहला तो कांग्रेस सीएम उम्मीदवार के नाम का ऐलान करके अपनी ही पार्टी के दो फाड़ नहीं करना चाहती और दूसरा की सारा क्रेडिट फिर से राहुल गांधी की झोली में जा सके। वैसे इन दोनों राज्यों में कांग्रेस ने प्रचार के लिए जबरदस्त ताकत झोंक रखी है। ओपिनियन पोल्स की मानें तो बीजेपी को 107 सीटें और कांग्रेस को एमपी में 116 सीटें मिलने की उम्मीद है। मध्यप्रदेश चुनाव में कांग्रेस को सवर्णों के वोट मिलने की उम्मीदें अधिक है तो वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया सीएम के तौर पर लोगों की पहली पसंद हैं।
इन तीन बड़े राज्यों में चुनाव जीतकर सरकार बनाने में कांग्रेस अगर कामयाब हो जाती है तो मोदी सरकार के लिए खतरे की घंटी बजना तय माना जा रहा है। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में अगर सरकार ना भी बना पाए तो कांग्रेस के हालात पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में काफी ज्यादा बेहतर होने की उम्मीद है जो कि पार्टी के लिए एक सकारात्मक संकेत है।
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