ज़िन्दगी के सबसे एहम फ़ैसलों में से एक है शादी का फैसला!
आज कल शादी की कोई तय उम्र नहीं है लेकिन फिर भी 20-25 के होते-होते शादी करने का दबाव पड़ना शुरू हो ही जाता है|
आईये देखें कौन सी 10 बातों का ख़ास ख्याल रखना पड़ेगा आपको शादी का फैसला लेने से पहले!
1) क्या दोस्तों की वजह से कर रहे हो?
कई बार ऐसा होता है कि अपने सभी दोस्तों को शादी करते देख लगने लगता है कि चलो हम भी निपट लेते हैं लेकिन ये ग़लती मत करना!
2) क्या इंटरनेट है वजह?
आजकल जिसे देखिये सोशल मीडिया पर अपनी मंगनी, शादी वगैरह की तसवीरें डालता रहता है| अगर आप का काफ़ी वक़्त बीतता है सोशल मीडिया पर तो हो सकता है ये तसवीरें आप के निर्णय का कारण हों!
3) क्या शादी का आईडिया ही लुभावना है?
कई बार “शादी” का लड्डू लुभावना नज़र आता है, कहने-सुनने में बड़ा अच्छा लगता है कि यार शादी हो रही है या हो गयी है! सिर्फ़ ये ख्याल कि प्यार हुआ, इक़रार हुआ और अब शादी हो रही है, ये दिमाग़ पर ज़्यादा हावी होता है बजाये शादी की हक़ीक़त के|
4) क्या आप बोर हो रहे हैं?
रोज़ तो सबकी ज़िन्दगी में कुछ नया, कुछ एक्ससाइटिंग नहीं होता ना? हो सकता है आप भी बोर हो रहे हैं और वो बस एक अस्थायी स्तिथि हो, स्थायी हालात नहीं!
5) बदलाव के लिए तैयार हो?
भैया शादी सब कुछ बदल देगी! जीने का तरीक़ा ही बदल जाएगा, ज़िन्दगी कुछ थी, कुछ और हो जायेगी! अच्छी या बुरी नहीं, लेकिन बदल जायेगी! क्या तैयार हो?
6) कोम्प्रोमाईज़ कर लोगे?
मानो या ना मानो, शादी का एक और नाम है कोम्प्रोमाईज़! ना चाहते हुए भी करना पड़ेगा और इसकी तो कोई ट्यूशन भी नहीं मिलेगी! कुछ बलिदान करने पड़ेंगे, कुछ माँगने पड़ेंगे!
7) जीवन भर एक ही इंसान के साथ?
अब ये मत कहना कि डेट पे जा रहे हो, पसंद नहीं आया डेट तो बदल डालेंगे! ये शादी है, जीवन भर का रिश्ता! सात जन्मों का हो ना हो, अगले 40-50 साल एक ही इंसान के साथ गुज़ारने के लिए तैयार हो?
8) क्या माँ–बाप के लिए कर रहे हो?
हिंदुस्तान में बहुत से लोग सिर्फ़ इसलिए शादी करते हैं क्योंकि माँ-बाप का दबाव होता है, उन्हें ख़ुश करने की एक हूक उठती है दिल में! लेकिन ऐसे में सही फ़ैसला सही वक़्त पर होगा, इसकी कोई गारंटी नहीं है!
9) परिस्थितियों से हाथ मिला रहे हो?
कुछ लोग होते हैं जो ज़्यादा सोच-विचार नहीं करते, बस जो दिल में आया कर लेते हैं या जैसे उन्हें ढाला जाता है, ढल जाते हैं! कहीं आप तो उन में से नहीं? क्योंकि ख़ुद का ना लिया हुआ फ़ैसला बहुत भारी पड़ता है!
10) शादी करनी है या शादी निभानी है?
अगर तो आप शादी की चकाचौंध से इम्प्रेस होकर इस बंधन में बंधना चाह रहे हैं तो ज़रा रुक जाइए| यह धूमधाम तो शादी के कुछ ही दिन की होती है, बाक़ी का जीवन शादी के बंधन का निर्वाह करना होता है! सोच लो!
ध्यान से तसल्ली से सोच लो, विचार कर लो, समझ लो, ख़ुद को जान लो! उसके बाद फ़ैसला लो कि कब करनी है शादी और किसके साथ!
जल्दबाज़ी का काम शैतान का होता है!
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