10) शादी करनी है या शादी निभानी है?
अगर तो आप शादी की चकाचौंध से इम्प्रेस होकर इस बंधन में बंधना चाह रहे हैं तो ज़रा रुक जाइए| यह धूमधाम तो शादी के कुछ ही दिन की होती है, बाक़ी का जीवन शादी के बंधन का निर्वाह करना होता है! सोच लो!
ध्यान से तसल्ली से सोच लो, विचार कर लो, समझ लो, ख़ुद को जान लो! उसके बाद फ़ैसला लो कि कब करनी है शादी और किसके साथ!
जल्दबाज़ी का काम शैतान का होता है!