अलग-अलग जगहों पर भटक रहे हैं
कहा जाता है कि श्रीकृष्ण से श्राप मिलने के बाद द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा को व्यास मुनि ने शरण दी थी. मध्यप्रदेश, उड़ीसा और उत्तराखंड के जंगलों में आज भी अश्वत्थामा को देखे जाने की खबरें आती रहती है.
मध्यप्रदेश में महू से करीब 12 किलोमीटर दूर स्थित विंध्यांचल की पहाड़ियों पर खोदरा महादेव विराजमान हैं. माना जाता है कि यह द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा की तपस्थली है और ऐसी मान्यता है कि आज भी अश्वत्थामा यहां आते हैं.
गौरतलब है कि भविष्य पुराण के मुताबिक ऐसा कहा जाता है कि कलयुग के अंत में भगवान विष्णु का ‘कल्कि’ अवतार धरती पर आएगा.
उस वक्त कल्कि अवतार की सेना में द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा भी मौजूद रहेंगे. जो अधर्म के खिलाफ लडेंगे. लेकिन सवाल यह है कि क्या तब तक ऐसे ही धरती पर भटकते रहेंगे द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा.