आशुतोष का इस्तीफ़ा – पत्रकारिता छोड़ आम आदमी पार्टी से राजनीतिक सफर शुरू करने वाले आशुतोष ने भले ही पार्टी से इस्तीफा दे दियो हो, मगर पार्टी का आशुतोष के प्रति प्यार कम नहीं हो रहा.
केजरीवाल तो खासतौर पर आशुतोष पर फिदा है, तभी तो आशुतोष के इस्तीफे पर उन्होंने कहा कि इस जन्म में तो वो उनका साथ नहीं छोड़ेंगे, साफ है कि केजरीवाल और आशुतोष का याराना बहुत गहरा है.
आम आदमी पार्टी के नेता आशुतोष का इस्तीफ़ा अभी तक अरविंद केजरीवाल ने स्वीकार नहीं किया है. आशुतोष का इस्तीफ़ा जिस पर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. खबरों की माने तों केजरीवाल आशुतोष को मनाने में जुटे हुए हैं, मगर आशुतोष हैं कि मान ही नहीं रहे.
अब तक आम आदमी पार्टी के कई दिग्गज नेता आशुतोष को मनाने की कोशिश कर चुके हैं. इससे पहले आशुतोष के इस्तीफ पर दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर रहा था कि इस जनम में आपका इस्तीफा स्वीकार नहीं, सर हम सब बहुत प्यार करते हैं.
.@ashutosh83B सर, हम सब आपको बहुत प्यार करते हैं। https://t.co/2JuZeQbifz
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) August 15, 2018
आपको बता दें कि आशुतोष का इस्तीफ़ा जिसकी खबर स्वतंत्रता दिवस के दिन आई थी और फिर आशुतोष ने ख़ुद ट्वीट कर इसकी पुष्टि कर दी.
Every journey has an end. My association with AAP which was beautiful/revolutionary has also an end.I have resigned from the PARTY/requested PAC to accept the same. It is purely from a very very personal reason.Thanks to party/all of them who supported me Throughout.Thanks.
— ashutosh (@ashutosh83B) August 15, 2018
आशुतोष ने कहा कि वह निजी कारणों से इस्तीफा दे रहे हैं, मगर माना जा रहा है कि वो राज्यसभा नें नहीं भेजे जाने से नाराज चल रहे थे. हालांकि आशुतोष ने ऐसा कुछ कहा नहीं है और उन्होंने तो अपने मीडिया के मित्रों से भी साफ कह दिया कि वो इस मुद्दे पर उनसे कोई बाइट न मांगे. आशुतोष ने आप के साथ अपने सफर को अच्छा बताया और कहा कि जिस तरह हर सफर का अंत होता है उसी तरह उनके राजनीति के सफर का भी अंत हो गया.
ऐसा भी खबरें आ रही है कि आम आदमी पार्टी छोड़ने के बाद आशुतोष राजनीति से सन्यास ले सकते हैं. आशुतोष दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के काफी करीबी माने जाते रहे हैं. बता दें कि आम आदमी पार्टी ने संजय सिंह, सुशील गुप्ता और एनडी गुप्ता को राज्यसभा में भेजा था. दरअसल, आशुतोष एक अच्छे वक्ता है और इतने साल मीडिया में रहने का कारण उनकी वहां भी अच्छी पकड़ और पहुंच है शायद इसलिए केजरीवाल उन्हें आसानी से खोना नहीं चाहते.
आशुतोष का इस्तीफ़ा – अब आशुतोष के इस्तीफे की वजह क्या वाकई में निजी कारण है या फिर सचमुच वो राज्यसभा में नहीं भेजे जाने से दुखी होकर पार्टी छोड़ रहे हैं, इस सवाल का जवाब तो केजरीवाल और आशुतोष के पास ही है, मगर क्या दोनों में से कोई इसका सही जवाब देगा? उम्मीद तो कम ही नज़र आती है.