दिव्यागं महिला अरुणिमा सिन्हा – अक्सर हमारी आस्था हमारी पंरपराएं ही हमें सबसे ज्यादा दुख देती है ।
लेकिन ये एक ऐसा टॉपिक होता है जिस पर हम ना तो किसी को दोष दे सकते है और न ही इन पंरपराओं को तोड़ सकते है ।
लेकिन कभी -कभी ये चीजें ये सोचने पर जरुर कर देती है कि क्या हमारी आस्था परंपराओं में हमारे जज्बातों का कोई मोल नही होता। दिव्यांग होने के बावजूद माउंट ऐवरेस्ट पर तिरंगा फहराने वाली विश्व की पहली दिव्यागं महिला अरुणिमा सिन्हा जो अपने सपनों के लिए अपनी कमी से लड़ गई लेकिन अपनी पंरपराओं के आगे हार गई ।
जब उन्हे उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर में अवस्थाओं का आरोप लगाकर मंदिर में दर्शन करने से रोक दिया गया । और उनकी दिव्यांगता का मजाक उड़ाया गया । जिसे देखकर ऐसा लगता है कि एक महिला जिसे अपनी दिव्यांगता के चलते ऐवरेस्ट फतह करने में उतनी परेशानी नहीं हुई जितनी उज्जैन के महाकाल मंदिर में भगवान के दर्शन करने में हुई ।
दिव्यागं महिला अरुणिमा सिन्हा इस घटना से इतनी आहत हुई कि मंदिर से बाहर आने के बाद जोर- जोर से रोने लगी ।
दिव्यागं महिला अरुणिमा सिन्हा ने इस घटना की शिकायत ट्वीटर पर ट्वीट करके मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री शिवराज चौहान और पीएम नरेन्द्र मोदी को की .
दरअसल ऐवरेस्ट फतह करने के बाद दिव्यागं महिला अरुणिमा सिन्हा भस्मारती में शामिल होने के लिए उज्जैन के महाकाल मंदिर में आई थी ।
उनके साथ उनकी दो साथी महिलाएं भी थी । दिव्यागं महिला अरुणिमा सिन्हा के अनुसार मंदिर के कर्मचारियों ने उनके साथ बदसूलकी की और उनकी दिव्यांगता का मजाक उड़ाया । अरुणिमा के अनुसार भस्मारती को देखने के लिए जब वो जा रहे थे तो सुरक्षाकर्मचारियों ने रोक लिया और कहा कि सीडी में ही भस्मारती देख लो ।
लेकिन वो इतनी दूर भस्मारती देखने आई थी। जिसके बाद कर्मचारियों ने उन्हें अकेले जाने को कहा । लेकिन अरुणिमा सिन्हा अकेले नहीं जा सकती थी जिस वजह से उन्होने कर्मचारियों से अपनी दो महिला साथियों को भी साथ ले जाने का आग्रह किया । लेकिन कर्मचारी उन्हे जाने की इजाजत दे ही नही रहे थे । काफी बहस के बाद अरुणिमा को अपनी दो महिला साथियों के साथ गर्भगृह में जाने का मौका मिला । और उन्होने महाकाल के दर्शन किए। लेकिन इस घटना ने अरुणिमा सिन्हा को बुरी तरह से आहत कर दिया ।
अरुणिमा ने अपना दुख ट्वीटर पर जाहिर किया और सीएम शिवराज चौहान और पीएम मोदी को ट्वीट किया – “ मुझे आपको बताते हुए बहुत दु:ख हो रहा है कि मुझे एवरेस्ट जाने में इतनी दिक्कत नही हुई जितनी दिक्कत मुझे उज्जैन के महाकाल मंदिर में दर्शन करते हुई । वहां मेरी दिव्यंगता का मजाक उड़ाया गया । “
वही इस पूरे मामले पर मंदिर के प्रशासक का कहना है कि उन्हे इस घटना के बारे में मीडिया से पता चला ।
मंदिर में दिव्यांगो के लिए अलग रैंप बना गया । जिन लोगों के पास अनुमति रहती है वो वहां से जाते है । साथ ही मंदिर प्रशासक का कहना ये भी है कि वो सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रहे है । ताकि दोषी कर्मचारियों को सजा दी जा सके.
लेकिन साथ ही उनका कहना ये भी है कि अरुणिमा सिन्हा को इस बात की शिकायत पहले पुलिस या महाकाल मंदिर प्रशासन को करनी चाहिए थी । लेकिन एक महिला जो अपनी कमी के बावजूद अपने सपनों को पाने में कामयाब हो गई उसे अपने भगवान से मिलने के लिए इस तरह मजाक बनाया जाना क्या सही है ?
मानसिक रुप से आहत करते वक्त किसी के दिमाग में किसी को शिकायत करने का ख्याल आएगा भी कैसे । गलती कर्मचारियों की है जिन्होने अरुणिमा सिन्हा के साथ ऐसा व्यवहार किया । जिसने उन्हे रोने पर मजबूर कर दिया.
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