आधुनिक लोगों को अपने निर्माणों पर शर्म आएगी, जब वो ये वास्तुओं की कलाकारी देखेंगे

बढती हुई जनसख्यां से रहने की जमीन कम होने लगी है.

रोजी रोटी और करियर को बनाने के लिए आम तौर पर लोग बड़े शहरों की ओर रुख करते है. ऐसे में शहरों में घरों के आकार और जगह दोनों छोटे हो गए है. किंतु इन घरों के आकर के साथ इनकी उतकृष्ट बनावट भी ख़तम सी हो गई है.

पहले जमाने में घरों से लेकर कोई भी वास्तु निर्माण हो उसमे गुणवत्ता तो थी ही, साथ में कला कौशल पर काफी ध्यान दिया जाता था. हम उन वास्तुओं की कलाकारी की बात कर रहे है जब कोई अत्याधुनिक तंत्रो का इस्तमाल नहीं होता था. बावजूद इसके वो आज बड़े शान से पर्यटकों का स्वागत करते है.

पुरातन वस्तु निर्माण

अजंता एलोरा

महाराष्ट्र के औंरंगाबाद में अजंता एलोरा २ गुफाएं है, जो एक दुसरे से ८०किमी की दुरी है. दूसरी शताब्दी ई. से पूर्व बने ये अद्भुत गुफाएं बेहद आकर्षक है. अजंता एलोरा में एक नहीं ३० से ३४ गुफाएं है. जहा अजंता की कलाकारी देखेंगे तो प्राकृतिक रंगों का इस्तमाल करते हुए दीवारों से लेकर छत तक कलाकारी की है.

जब आप एलोरा देखेंगे तो आपको ३ धर्मो का मेल देखने मिलेगा. पहाड़ के चटानो में बना  बौद्ध, हिंदू और जैन धर्म के शिल्प बहुत कुछ कह जाते है.

कुछ शताब्दी पहले के निर्माण

खजुराहो मंदिरों

भारत के खूबसूरत मंदिरों का नगर ‘खजुराहो’, जो संसार भर में अपनी उत्कृष्ट कला के लिए जाना जाता है. पार्श्वनाथ मंदिर मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध जैन धार्मिक स्थलों में से एक है. मध्य प्रदेश के छतरपुर ज़िले में स्थित है. मंदिर से प्राप्त अभिलेख साक्ष्यों के आधार पर इस मंदिर का निर्माण 950 ई. से 970 ई. के मध्य का माना गया है, जिसे यशोवर्मन के पुत्र राजा धंग के शासन काल के समय में बनवाया गया था. मंदिर मंडप की सज्जा में मूर्तियों की बहुलता देखी जा सकती है, जो उसकी सुंदरता को निखारती हैं.

कुछ वर्ष पुराना निर्माण

जैसलमेर किला

शहर के केन्द्र में स्थित  है जैसलमेर की शान  जैसलमेर किला. यह ‘सोनार किला’ या ‘स्वर्ण किले’ के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह पीले बलुआ पत्थर का किला सूर्यास्त के समय सोने की तरह चमकता है. 1156 में एक भाटी राजपूत शासक जैसल द्वारा त्रिकुरा पहाड़ी के शीर्ष पर निर्मित किया गया था. किले में महलों की बाहरी दीवारें, घर और मंदिर कोमल पीले सेंट स्‍टोन से बने हैं. इसकी संकरी गलियां और चार विशाल प्रवेश द्वार है जिनमें से अंतिम एक द्वार मुख्‍य चौक की ओर जाता है जिस पर महाराज का पुराना महल है.

इस किले तक पहुंचने के लिए, आगंतुक जैसलमेर शहर से एक ऑटो रिक्शा या रिक्शा किराए पर ले सकते हैं. किला सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है.

विश्व प्रसिद्ध भारतीय निर्माण

ताज महल

उत्तर प्रदेश के आगरा में स्थित ताज महाल की गितनी विश्व के सात अजूबों में होती है. इसका निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में करवाया था. यहीं मुमताज महल का मकबरा भी है. ताजमहल भारतीय, पर्सियन और इस्लामिक वास्तुशिल्पीय शैली के मिश्रण का उत्कृष्ट उदाहरण है.

लोक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल

बहाई मंदिर

दक्षिण दिल्ली के कालका जी में 26 एकड़ में बना बहाई मंदिर जिसे लोटस टैंपल भी कहा जाता है, दिसम्बर 1986 में बना. लोटस टैंपल भारत के राष्ट्रीय पुष्प कमल और भारतीय सौन्दर्य का न केवल प्रतीक है बल्कि सर्वधर्म की एकता और शान्ति का प्रतीक है. इसमें एक बड़ा शान्त और प्रार्थना स्थल है जिसमें सभी धर्मों के लोग अपने-अपने इष्टदेव या धर्म की प्रार्थना करते हैं यहाँ कोई भी मूर्ति या किसी भी प्रकार का धर्म नहीं है. अपने इसी ख़ास गुण के कारण यह दिल्ली और देश-विदेश में ताजमहल के बाद लोकप्रिय दर्शनीय स्थल है.

जो भी बाते हमने आपको बताई ये तो बहुत बड़े और सुंदर कलाकृतियां है. ऐसे कई अनगिनत वस्तुंए है जो आज तक अपनी खूबसुरती के लिए पहचानी जाती है. कई घर है जहा लोग रहते है, उन्होंने वो पौराणिक चीजों का जतन किया है.

जबकी आज आधुनिक ज़माने में सीमेंट के घर लोग इस तरह बना रहे है मानो कुछ वर्षो में जंगल और पेड़ रहेंगे ही नहीं.

बड़े शहरों में जगह तो वैसे भी कम है जहा लोग केवल रात को सोने के लिए इस्तमाल करते है. इन घरों की गुणवता तो बताने कि आवश्यकता ही नहीं १०-15 साल में ही इमारत गिरने के कगार पर होती है. कुछ तो गिर भी जाते है. और आये दिन ऐसे हादसे सुनने को मिलते है, बिल्डर अपनी और अधिकारियो की जेब भरते भरते घर की गुणवत्ता का ध्यान ही नहीं रखता. जिसका खामियाजा वहा रह रही जनता को भुगतना पड़ता है.

इन्हें देखने के बाद विज्ञान और तकनीकी को भी मुंह छिपाना पड़ सकता है.

Neelam Burde

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