क्या होगा अगर आपको तीन महीने शून्य से नीचे तापमान में गुजारा करना पड़े? हो सकता है आप बोलें कि इसमें कौनसी बड़ी बात है.
लेकिन सोचिये की आप अपने घर से दूर हों. सामने से कब दुश्मन की एक गोली आये और आपको अपना शिकार बना ले. गोली नहीं तो एक बर्फीला तूफान आपकी जान ले लेता है.
अगर तूफान से बच जाओ तो बड़ी बर्फ की चट्टान ऊपर से आ गिरती है. जी हाँ, यह देश प्रेम हर किसी में हो यह जरुरी नहीं हो सकता है.
लेकिन यह देश प्रेम हमारे उन सेना के जवानों में तो है तो कड़ाके की सर्दी में सियाचिन जैसी पर देश सेवा कर रहे है.
आप और हम आराम से सो सकें, अपने परिवार के साथ खुशियाँ मना सकें शायद इसीलिए यह जवान यहाँ पर वतन की पहरेदारी में लगे रहते हैं.
हाल में जब आया सियाचिन पर तूफान: –
तीन फरवरी को उत्तरी ग्लेशियर में आये बर्फीले तूफान के बीच एक बहुत विशाल चट्टान मद्रास रेजीमेंट के दस जवानों पर आ गिरी है. अखबारों में और टीवी में यह बड़ी खबर नहीं बन पाई है. सेना ने बचाव और राहत अभियान चलाया, लेकिन अब सभी बता रहे हैं शायद ही कोई जवान यहाँ जिन्दा बच पाया हो. अब उनके शवों की तलाशी जारी है.
बर्फीले तूफान से दब गए दस जवानों में एक का शव मिल गया है. बता दें कि करीब 20 हजार फुट की ऊंचाई वाले इस इलाके में तीस से चालीस फुट बर्फ जमी हुई है, रोशनी की कमी है, तापमान शून्य से 25 डिग्री से भी नीचे है.
दुनिया का सबसे खतरनाक जंगी स्थान: –
सियाचिन को दुनिया का सबसे ऊँचा और सबसे खतरनाक जंगी स्थान बताया जाता है. पिछले तीन दशक से यह स्थान पाकिस्तान के चलते एक विवादित जगह बना हुआ है. भारतीय सेना के लगभग 10 हजार जवान इस स्थान पर हमेशा तैनाती के लिए मौजूद रहते हैं. इसे देश का दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है कि हम अपने लगभग 900 जवानों को यहाँ शहीद कर चुके हैं.
एक सैनिक यहाँ 3 महीने के लिए ड्यूटी पर आता है. लेकिन वह जिन्दा घर वापिस आ पायेगा या नहीं इस बात का इल्म किसी को नहीं होता है.
आप और हम यहाँ बैठकर या तो इस रिपोर्ट को लिख सकते हैं या सिर्फ पढ़ सकते हैं. किसी को खोने का दर्द इन जवानों के घर वालों से बेहतर कोई नहीं समझ सकता है.
वैसे कहने को तो दो बार भारत-पाकिस्तान के बीच यह समझौता हो चुका है कि यहाँ अब सेना के जवान तैनात नहीं किये जायेंगे. लेकिन वह समझौते मार कागजी रूप लेकर ही कहीं दफन हो चुके हैं.
कहते हैं कि सियाचिन की सर्दी में टूथपेस्ट भी जम जाता है. सर्दी इतनी भयानक होती है कि अगर हाथ के दस्तानों में पसीना आ जाए तो वह भी बर्फ बन जाता है और मिनटों में यह हाथ को गलाने लगता है.
हम उम्मीद करते हैं कि काश कोई ऐसा चमत्कार हो जाये कि इस तरह सेना के जवानों को बेवजह ही अपनी जान ना गवानी पड़े. इंसान को इंसानियत के साथ अब सोचने की जरूरत है. सियासत का यह नंगा नाच अब शायद खत्म करने का समय आ गया है.