नाग कन्या उलूपी
द्रौपदी से पांडवों के विवाह के बाद नियम बनाया गया कि जब एक भाई द्रौपदी के साथ होगा तो कोई और भाई उनका एकांत बहंग नहीं कर सकता. यदि पांचों भाइयों में से किसी ने ऐसा किया तो उसे दंड स्वरुप वनवास दिया जायेगा.
एक बार अर्जुन ने यह नियम तोड़ दिया फलस्वरूप अर्जुन को वनवास जाना पड़ा. वनवास के दौरान एक बार सरोवर में स्नान करते समय उन्हें देखकर नाग कन्या उलूपी अर्जुन पर मोहित हो गयी और प्रणय निवेदन किया. अर्जुन ने पहले उसका निवेदन अस्वीकार किया लेकिन बाद में जब उलूपी ने शास्त्रों के बात बताई तो अर्जुन ने निवेदन स्वीकार कर लिया.
अर्जुन और उलूपी के विवाह से एक पुत्र का जन्म हुआ जिसका नाम इरावण था.