लड़कियां भी कई तरह की होती है कोई रुढ़ीवादी तो कोई खुले विचारों वाली कोई शर्मिली तो कोई बेबाक!
इस तरह की लड़कियों से आपका पाला रोजाना ही पड़ता रहता होगा, लेकिन आजकल वुमन इंपावरमेंट के दौर में फ़ेमिनिज्म को सपोर्ट करने वाली महिलाओं की कमी नहीं है.
आईए जानते है कि कहीं आपका पाला किसी फ़ेमिनिस्ट यानि महिलावादी से तो नहीं पड़ गया हैै.
क्या है फ़ेमिनिज्म–
नारीवाद को एक सामाजिक विचार माना जा सकता है कि नारियां भी एक मनुष्य है. इस शब्द की उत्पति फ़ेमिनिस्मे नाम के फ्रेंच शब्द से हुई है. पहले -पहले इस शब्द का प्रयोग महिलाओं जैसी क्वालिटी चाहे पुरुषों में हो या महिलाओं में हो के लिए किया जाता था. बाद में ये शब्द उन महिलाओं के लिए उपयोग किया गया जो कि लैगिंक आधार पर असमानता की शिकार होती है उन्हें बराबरी का दर्जा देने के लिए इस शब्द का उपयोग हुआ.
नारीवाद को वृंदा करात ने कुछ यूं परिभाषित किया हैं. ” नारीवाद एक विचारधारा है जिसके आधार पर नारी मुक्ति के प्रयास किए जाते है”
कुल मिलाकर नारीवाद के जरिए पुरुषों की नहीं बल्की उनके द्वारा महिलाओं पर थोपे गए खोखले नियम कानूनों की आलोचना की गई हैं.
कैसे करे महिलावादी की पहचान – अगर करनी हो फ़ेमिनिस्ट की पहचान तो ये 6 निशानियां हो सकती है आपके लिए मददगार
1. वो खुद कर ले सच स्वीकार-
हो सकता है कि वो ये सच खुद स्वीकार कर लें कि वो फेमिनिस्ट है और वो अपने इस विचारधारा को बिल्कुल भी बदलना नहीं चाहती कुछ महिलाएं खुले तौर पर ये कहने से नहीं झिझकती हैं कि वो फ़ेमिनिस्ट है. अपने सोशल प्रोफाईल पर भी वो कभी-कभी ये बात मेंशन करना नहीं भूलती हैं.
2. बातों में ही झलकता है फ़ेमिनिज्म-
जब आप इनसे बात करेंगे तो पाएंगे कि ये महिलाएं कभी ना कभी पुरुषों द्वारा महिलाओं पर किए गए अत्याचारों और जेंडर के आधार पर होने वाले भेदभाव का ज्रिक अपनी बातों में कभी ना कभी करेंगी ही हो सकता है पहली डेट नहीं तो कभी और करेंगी. अपनी बातों में वो किसी महिला हस्ती या महिला पॉलिटिशियन , बिजनेस वुमन का उल्लेख करेंगी उनकी खूबियां भी गिनाएंगी. बातों ही बातों में इस बात की पूरी तसल्ली कर लेंगी की आप महिलाओं को बराबरी का दर्जा देते है या नहीं साथ ही इस बात की पुष्टी करेंगी कि आप अपने से सुपीरियर महिला को झेल सकते है या नहीं.
3. दो महिलाओं के कन्वर्सेशन से जुड़ी फ़िल्में देखना-
इस तरह की महिलाएं ऐसी फ़िल्मों में खासतौर पर रुची लेती है जिसमें दो महिलाओं के बीच बातचीत दिखाई जाती है जिसका टॉपिक आदमियों से ना जुड़ा हो.
4. बिल देने में सबसे आगे-
वैसे तो आमतौर पर जब एक महिला और पुरुष बाहर जाते है तो पुरुष ही महिलाओं के हिस्से का बिल देते है जैसे टेक्सी का फ़ेयर देते है खाने का बिल पे करते है. लेकिन जो महिला फ़ेमिनिस्ट होती है वो हमेशा बिल पे करने में पुरुषों की बारी का इंतजार नहीं करती है ये काम वो खुद ही करने को बेताब रहती हैं.
5. अपने आप को सही मानना–
कई औरते ये स्वीकार करने में बिल्कुल भी नहीं झिझकती है कि वो जिद्दी स्वभाव की है. इन लोगों को केयरफूली और पीसफूली हैंडल करने वाला आदमी चाहिए. छोटी छोटी बात को शट-अप कह कर बात खत्म करने वालों के साथ ये बिल्कुल भी नहीं रह सकती हैं. ये समझती है कि ये हर बात सही तरह जानती है. ज्यादातर कन्वरसेशन को ये खुद ही खत्म करती है यानि इनका स्टेटमेंट आखिरी होता है और पुरुष इनसे ना उलझने में ही बेहतरी समझते हैं.
6. अगर आप महिलावादी नहीं तो आपका कोई चांस नहीं-
ज्यादातर महिलावादी महिलाएं एक नारीवादी पुरुष को ही डेट करना पसंद करती है जो उनकी अलग पहचान को स्वीकार करे. जो ऐसा नहीं करना चाहते वो ऐसे पुरुष को डेट भी नहीं करना चाहती हैं.
भले ही आपको महिलावादी को डेट को करना टेढ़ी खीर लगता हो लेकिन अगर आप 6 बातें जहन में रखेंगे तो ये टेढ़ी खीर को भी आप आसानी से पका सकते है.
वैसे भी 21 वीं सदी में कौन सी महिला वुमन राईट्स की बात नहीं करती हैं. ऐसे में आम औरत और एक फ़ेमिस्ट में ज्यादा फर्क अब रह नहीं गया हैं.