आज कल भाषा को धर्म से जोड़ा जाने लगा है.
हिंदी हिन्दुओं की और उर्दू मुसलमानों की जुबान है कहा जाने लगा है. लेकिन क्या आप जानते है कि ये बात एक दम गलत है. हमारे यहाँ बोलचाल में इस्तेमाल की जाने वाली भाषा ना ही हिंदी है और ना ही उर्दू है.
वैसे तो हमारे देश में बोली जाने वाली भाषा हिन्दुस्तानी है. हिन्दुस्तानी भाषा बहुत से भाषाओँ से मिलकर बनी है. खासकर अरबी और फारसी भाषा से.
आज आपको कुछ ऐसे शब्दों के बारे में बताते है जिन्हें आप हिंदी शब्द समझते है लेकिन वो शब्द अरब की भाषा से आये है.
सवाल (प्रश्न)
ये शब्द हमारी दैनिक बोलचाल का एक हिस्सा बन चुका है. सवाल का अर्थ होता है प्रश्न. यह शब्द अरबी के शब्द सुवाल से बना है. इस अरबी शब्द का अर्थ भी प्रश्न होता है.
ग़ायब (अदृश्य)
क्या आपको याद है कि आपने कभी अदृश्य शब्द का बोल चाल में इस्तेमाल किया है. गायब शब्द इतना प्रचलित हो गया है कि बहुत से लोगों को ये लगता है कि ये हिंदी शब्द है. इस शब्द की उत्त्पति भी अरबी शब्द से ही हुई है.
शराब
अगर कोई आपसे पूछे कि शराब को हिंदी में क्या कहते है तो आपका जवाब क्या होगा? आप यही कहेंगे ना कि शराब तो खुद हिंदी का ही शब्द है. लेकिन ये सही नहीं है शराब एक अरबी शब्द है और इसका मतलब वहां मद्यपान नहीं है. अरबी में शराब का अर्थ होता है पेय. वो चाहे अल्कोहल वाला हो या साधारण. इस शब्द की उत्त्पती अरबी के यशरब शब्द से हुई है.
मौत (मृत्यु )
मौत तो इतना अधिक प्रचलित हो गया है कि इसे तो अगर अरबी शब्द बोला जाए तो भी कोई मानने तक को तैयार नहीं होगा. लेकिन इस शब्द के पीछे भी एक अरबी शब्द अल मौत है जिसका अर्थ होता है मृत्यु.
हादसा (दुर्घटना )
अख़बार हो या फ़िल्में या रोज़मर्रा की बोलचाल, दुर्घटना से ज्यादा हादसा शब्द का इस्तेमाल होता है. हादसा शब्द का मूल भी अरबी भाषा ही है. इस भाषा में दुर्घटना के लिए हदीथ शब्द का इस्तेमाल किया जाता है. इसी हदीथ से हादसा शब्द बना है.
देखा आपने ये तो बस कुछ उदहारण थे यदि आप ध्यान से समझो तो हम जिस भाषा का लिखने और पढने में इस्तेमाल करते है उसमें अधिकांश शब्द फारसी और अन्य भाषा के है.
हम जिसे हिंदी भाषा समझते है वो दरअसल हिन्दुस्तानी जुबान है जिसमे भारत ही नहीं दुनिया की बहुत सी भाषाओँ के शब्दों को इस्तेमाल किया गया है.