भारत दुनिया को वक़्त के साथ नये-नये आविष्कार देता रहा है.
कई बार तो ऐसा भी होता है कि हमारे आविष्कारों को दुनिया अपना बना लेती है. आप आज भी एक नजर देख लें कि भारत के ही वैज्ञानिक विश्व को नई दिशा दे रहे हैं. हमारे तो साधू-संत भी एक से एक नये आविष्कारों को जन्म दे चुके हैं. अध्यात्म ही इन लोगों से बड़े आविष्कार करा देता है.
आज हम आपको भारत के एक ऐसे वैज्ञानिक के बारें में बताने वाले हैं जिसने विभिन्न धातुओं से सोना बनाने की कला को जन्म दे दिया था. इस वैज्ञानिक का नाम भारतीय पतंजलि योग में भी आता है.
तो आइये पढ़ते हैं इस महान वैज्ञानिक के महान आविष्कार-
इनका नाम और सबूत –
आप जैसे ही वैज्ञानिक नागार्जुन जी का नाम खोजते हैं तो आपको इनके बारें में हैरान कर देने वाली जानकारी मिलेगी.
जैसे आज के वैज्ञानिक युरेनियम से अणु शक्ति प्राप्त कर रहे हैं उसकी प्रकार महान वैज्ञानिक नागार्जुन जी ने तांबे जैसी धातु से सोना प्राप्त करने की कला खोज निकाली थी. शास्त्र इनके बारें में यहाँ तक बोलते हैं कि नागार्जुन जी तो किसी भी घटिया धातु को सोने में बदल सकते थे. यह कोई चमत्कार नहीं था बल्कि इन्होनें अपनी एक बड़ी लेब बनाकर उसके अन्दर आविष्कार किये थे. किसी भी धातु से वह सोना बना सकते थे.
कहाँ था इनका साम्राज्य –
किताबे बताती हैं कि सन् 1055 में सौराष्ट्रार्न्तगत “ढाक” नामक समृद्धिशाली नगर पर वैज्ञानिक नागार्जुन जी का ही साम्राज्य था. इनका कभी भी राज करने या शासन की नीतियों के निर्माण में दिल नहीं लगा था. नागार्जुन जी तो बस जैसे कि कुछ आविष्कार करना चाहते थे. विज्ञान ही इनके लिए सबकुछ बनता जा रहा था. तभी यह महान व्यक्ति अमृत और पारस की खोज करने का निश्चय करता है. अपने निजी धन से यह वैज्ञानिक नागार्जुन बड़ी लेब बनाता है और यहाँ कुछ नया खोजने में जुट जाता है.
काफी परीक्षणों के बाद वैज्ञानिक नागार्जुन जी ने वह क्रिया खोज निकली थी जो किसी भी धातु को सोने में तब्दील कर सकती थी.
बेटा बन गया था विनाश की वजह –
नागार्जुन जी का एक सपना था कि वह व्यक्ति के अमर होने वाली चीजों की खोज करें. जो आविष्कार रावण नहीं कर सका था उसका आविष्कार नागार्जुन करना चाहते थे. इस कार्य में वह दिन रात लगे रहते थे. इस कारण से राज्य में अव्यवस्था फैलने लगी थी. यह बात इनके बेटे ने पिता से कही कि आपके आविष्कारों में समय देने से हमारा राज्य अब डूबने लगा है. किन्तु नागार्जुन का कहना था कि मैं जल्द ही व्यक्ति के अमर होने वाली दवा का आविष्कार करने वाला हूँ. इसके बाद कोई भी व्यक्ति मरा नहीं करेगा.
जब यह बात बेटे ने अपने दोस्तों को बताई तो जंगल में आग की तरह से इस आविष्कार की बातें फैलने लगी. तभी किसी ने कोई चाल चली और नागार्जुन को इनकी लेब समेत नष्ट कर दिया गया था.
पारस और अमृत का इनका आविष्कार पूरा तो नहीं हो सका किन्तु विश्व को इन दोनों चीजों की जानकारी जरुर हुई.
इसके बाद पारस के सही प्रयोग के विश्व के कई लोग दीर्घ आयु प्राप्त करने में सफल जरुर हुए थे. आज इनके कई आविष्कार धातु और चिकित्सा के क्षेत्र में प्रयोग किये जा रहे हैं.
किन्तु नागार्जुन जैसे महान वैज्ञानिक को भुला दिया गया है तो इनके साथ अन्याय ही है.