यात्रा और खान-पान

ये है वो लङका जो बिना पैसो के घूम रहा है पूरा देश , अजीब है वजह

आज के वक्त में जहां किराने की दुकान तक जाने में भी पांच सौ के नोट का पता नहीं चलता ।

ऐसे में क्या आप सोच सकते हैं कि कोई इंसान पूरा देश घूम रहा हो वो भी बिना किसी पैसे के । अगर पुराना वक्त भी होता तो एक बार के लिए मान भी लेते ।

लेकिन आज के वक्त में बिना पैसो  के सैर कैसे ? लेकिन कहते हैं जहां चाह होती है वही राह होती है ।  अंश मिश्र ने भी यही कारनामा कर दिखाया है। अंश मिश्र ने 2019 दिन के अंदर 29 राज्यों और चार केंद्रशासित प्रदेशो का भ्रमण किया हैं अभी वो अपने आखिरी पङाव जगदलपुर में।  वो भी बिना पैसो के ।

अंश ने इलाहाबाद तकनीकी विश्व विद्यालय से एमसीए और एमबीए की पढाई पूरी की। आजकल एक मिथ बहुत प्रचलित है कि  बिना पैसो के कुछ नही हो सकता। पैसे से ही सब कुछ होता है। इसी बात को गलत साबित करने  के लिए अंश ने बिना पैसो के पूरा देश घूमने का सोचा था । अंश ने अपने ट्रिप की शुरुआत इस साल  3 फरवरी से की थी।

इस बीच अंश को कोई मुसीबतों का सामना करना पडा लेकिन अंश ने हार नहीं मानी और अपना सफर जारी रखा। अंश सफर के दौरान हाइवे से ट्रक वालो से लिफ्ट मांगा करते थे । कभी कोई लिफ्ट देता तो कोई साफ मना कर देता । अंश के अनुसार उनका सबसे बुरा अनुभव गुजरात  के सूरत में रहा जंहा 9 घंटे इंतजार करने के बाद अंश को एक ट्रक ड्राइवर ने लिफ्ट दी। अंश ने अपने सफर के दौरान कुल 18 हजार ट्रकवालों से लिफ्ट ली ।और उन्ही के साथ खाना खाया ।

इस बीच अंश मिश्र तीन को बार चिकनपोक्स भी हुआ लेकिन अंश ने हार नहीं मानी । अंश के अनुसार उनका सबसे बेकार अनुभव गुजरात का रहा। क्योंकि गजरात में उन्हे कही भी मेहमानवाजी देखने को नही मिली । जिस वजह से अंश को 26 घंटे तक भूख भी रहना पङा। हालांकि हर राज्य की कहानी एक सी नही है।

अंश ने इस सफर के दौरान भारत के अद्भुत क्लचर और सौदंर्य का अनुभव किया । बस्तर जंहा आये दिन माओवादियों के हमले होते रहते हैं। उस जगह को लेकर अंश मिश्र ने कहा कि “वो बहुत खूबसूरत जगह है वहां देखने के लिए बहुत से टूरिस्ट प्लेस है। हालांकि माओवादियों के कारण लोग बस्तर जाने से डरते हैं।” लेकिन मुझे वहाँ  जाकर कोई परेशानी नहीं हुई। अंश ने जो इस ट्रिप के दौरान अनुभव  किया उसका मोल शायद कोई नहीं लगा सकता।

अंश मिश्र का कहना है कि जो उन्होंने अनुभव किया न उसे वो बेच सकते हैं न  कोई उसे खरीद सकता है। अब जगदलपुर से अंश अपने घर इलाहाबाद लौट जाएंगे।

Preeti Rajput

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