चीन की गलियों में इन दिनों ऐसे पोस्टर लगे हैं जिसे पढ़ने के बाद लोग अमेरिकी लोगों से दूर भाग रहे हैं.
कुछ दिन पहले खबर आई थी कि चीन ने अपने यहां अमेरिकी जासूस के आरोप में करीब 20 लोगों को मौत के घाट उतार दिया है.
वहीं कुछ लोगों को कहना है कि चीन ने उनको किसी अज्ञात स्थान पर रखा हुआ है. इतने बड़े पैमाने पर किसी देश के जासूसों के खिलाफ इस प्रकार की कार्रवाई से अमेरिका और चीन के रिस्तों में तल्खी ओर बढ़ गई है.
दरअसल, चीन को आशंका है कि उसके यहां बड़े पैमान पर अमेरिकी जासूस छिपे हैं जो उसके लिए कभी खतरा बन सकते हैं. इन अमेरिकी जासूसों ने चीन के नागरिकों के भीतर काफी अंदर तक पैंठ बना ली है.
इसी चिंता चीन को लगातार परेशान किए हुए है.
यही कारण है कि जासूसी के खेल में अमेरिका को मात देने के लिए चीन ने काफी सावधानी बरतनी शुरू कर दी है. बल्कि पेइचिंग की गलियों में दीवारों पर पोस्टर लगाकर अपने नागरिकों को विदेशी लोगों से बचकर रहने की नसीहत भी दे रहा है.
इन पोस्टरों में बने कार्टून चीन के लोगों को सावधान करते हुए कह रहे हैं, विदेशी आदमियों के आकर्षण में न फंसें, वे अमेरिकी जासूस हो सकते हैं.
इन पोस्टरों में ग्राफिक्स का ऐसा इस्तेमाल इस बात का इशारा है कि चीन की सरकार ने अमेरिकी जासूस से निपटने के लिए अपना अभियान काफी तेज कर दिया है.
पोस्टर में दिखाई गई कॉमिक बुक की लव स्टोरी आखिर में आंसुओं पर जाकर खत्म होती है और स्थानीय लोगों के लिए विदेशी आदमियों से बचकर रहने की चेतावनी छोड़ देती है.
बता दें कि पिछले साल इसी दौरान पेइचिंग ने विदेशी घुसपैठ के खतरों के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए एक पब्लिक कैंपेन भी लॉन्च किया था.
लेकिन, पब्लिक कैंपेन और पोस्टर अभियानों से जासूसों को काउंटर करने से अलग चीन का असली खेल कुछ ज्यादा ही खतरनाक है. हाल ही में न्यू यॉर्क टाइम्स में छपे एक आर्टिकल के मुताबिक, चीन की कार्रवाई के तहत 2010 से 2012 के बीच अमेरिका की सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी के खुफिया नेटवर्क के करीब 20 जासूसों की या तो हत्या की जा चुकी है या उन्हें जेल में डाला जा चुका है.
न्यू यॉर्क टाइम्स से बात करते हुए 10 अमेरिकी अधिकारियों ने अपना नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि पिछले एक दशक में सीआईए के खुफिया नेटवर्क में लगी यह सबसे बड़ी सेंधों में एक है. यह सब कैसे हुआ, इस बारे में अभी तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सका है.
आर्टिकल के मुताबिक, जिन अमेरिकी जासूसों को चीन ने मारा उनमें से एक अमेरिकी जासूस को उसके सहयोगियों के सामने गोली मारी गई, ताकि उन लोगों को चेतावनी दी जा सके जो अमेरिका के लिए जासूसी कर रहे हैं.
गौरतलब है कि पिछले साल अप्रैल में चीन ने विदेशी एनजीओ पर सख्त पाबंदियों वाला एक कानून पास किया. इन एनजीओ पर चीन को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगता रहा है, साथ ही स्थानीय मीडिया में इनकी छवि अमेरिका के खुफिया ऑपरेशंस को आड़ देने वाले संस्थानों के तौर पर पेश की जाती है.
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