सऊदी अरब अमेरिका विवाद – इन दिनों अमेरिका की ईरान से खुल्लमखुला वॉर किसी से छिपी नहीं है ।
लेकिन चिंता की बात ये है कि इस मुंह जबानी वॉर का असर सिर्फ अमेरिका पर ही नहीं दुनियाभर के देशों पर पड़ रहा है । ये हम सब जानते है ईरान दुनियाभर में तेल का सबसे बड़ा निर्यातक है । लेकिन अमेरिका के प्रतिबंध के बाद अब तेल के बाजार में दाम लगातार बढ़ते जा रहे है । जिसका असर भारत, अमेरिका सहित दुनियाभर के सभी देशों पर देखने को मिल रहा है ।
सऊदी अरब अमेरिका विवाद में इराक के प्रतिबंध के बाद अमेरिका के पास सऊदी अरब ही सहारा है । लेकिन हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सऊदी अरब पर दिए बयान ने पूरी दुनिया को चौंका दिया । ऐसा इसलिए क्योंकि गल्फ देशों में सऊदी अरब अमेरिका सबसे भरोसेमंद और अच्छा दोस्त है ।
लेकिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जो सऊदी अरब के लिए कहा उसे इस दोस्ती में खटास के असार नजर आ रहे है ।
दरअसल अमेरिका के मिसिसिपी राज्य में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि हम सऊदी अरब की सुरक्षा करते है वो काफी अमीर देश है मैं किंग सलमान को पंसद भी करता हूं लेकिन मैं उन्हें बता दूं कि हम उनकी सुरक्षा कर रहे है हमारी सुरक्षा के बिना आप दो हफ्ते भी राज नहीं कर पाएंगे । हालांकि ऐसा पहली बार नहीं है जब डोनाल्ड ट्रंप ने इस तरह का विवादित बयान दिया हो । लेकिन यें चौकाने वाला इसलिए है क्योंकि इस बयान के बाद सबसे के मन में ये सवाल जरुर उठने लगा है कि क्या सच में सऊदी अरब अमेरिका के बिना कुछ नहीं है
सऊदी अरब सेना पर खर्च नहीं करता
सऊदी अरब गल्फ देशों के सबसे अमीर और ताकतवर देशों में से तो है लेकिन इसकी ताकत काफी हद तक अमेरिका पर निर्भर है ।ऐसा इसलिए क्योंकि सऊदी अरब को हमेशा ही सेना दारा तानशाही का डर सताता रहा है जिस वजह से सऊदी अरब ने कभी भी अपनी सेना को मजबूत करने में ज्यादा पैसा खर्च नहीं किया । जिस वजह से सऊदी अरब सैन्य सुरक्षा के लिए अमेरिका पर निर्भर है । यमन मे हुए गृहयुद्ध में भी अमेरिका ने ही सऊदी अरब का साथ दिया । जिसे सऊदी अरब गल्फ देशों में अपना वर्चस्व हासिल करने में कामयाब हो पाया । और इस बात को अमेरिका भी भलीभातिं समझता है शायद यही कारण है कि अमेरिका ने सऊदी अरब को इतनी बड़ी धमकी दे डाली । लेकिन हमें यहां पर इस बात नहीं भूलना चाहिए कि अगर सऊदी अरब सैन्य शक्ति के लिए अमेरिका पर निर्भर है तो अमेरिका भी सऊदी अरब पर तेल के लिए निर्भर है ।
अमेरिका का गल्फ देशों में एकलौता साथी है सऊदी अरब
अमेरिका और ईरान की वॉर के बीच गल्फ देशों में सऊदी अरब ही एकलौता है जिस पर अमेरिका भरोसा कर सकता है और जो शायद अमेरिका की मांगो को पूरा भी कर सकता है । यही कारण है कि इस साल जून में भी डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट करते हुए सऊदी अरब को तेल के दाम कम करने के लिए कहा था । वहीं तेल के बढ़ते दामों के लिए ईरान और वेनेजुएला को जिम्मेदार माना था ।
तेल की वजह से हो रहा है सऊदी अरब अमेरिका विवाद
पर अब अमेरिका पर ईरान पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा कर चुका है हालांकि प्रतिबंध नंवबर से लागू होगा । लेकिन तेल का बाजार अभी से गर्माने लग गया है जिसका असर अमेरिका पर भी साफ नजर आ रहा है । जिस वजह से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अलग – अलग तरह से सऊदी अरब को तेल के दाम कम करने की चेतावनी दे रहे है । अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान के बाद सऊदी अरब की मीडिया भी काफी नाराज नजर आ रही है उनका कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति अपने मनमुताबिक तेल के दाम तय करवाना चाहते है ।
सऊदी अरब अमेरिका विवाद – लेकिन इसे ये तो साफ हो गया कि अगर अमेरिका सऊदी अरब से सैन्य शक्ति छीनता है तो अमेरिका को भी तो तेल कि किल्लत का सामना करना पड़ेगा । अब अगर दूसरे का घर तोड़ेगे तो पत्थर तो अपने घर पर भी गिरेंगे ।
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