अमरनाथ गुफा हिंदुओं का तीर्थ स्थल है और यहां तक पहुंचने के लिए लोगों को काफी कठिन रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है बावजूद इसके हर साल हजारों की संख्या में श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शनों के लिए जाते हैं.
इस बार भी अमरनाथ यात्रा शुरू हो चुकी है और यात्रा में किसी तरह की अनहोनी न हो इसके लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम भी किए गए हैं. आज हम आपको बता रहे हैं अमरनाथ गुफा से ज़ुड़ी कुछ दिलचस्प बातें.
अमरनाथ गुफा –
१ – इस गुफा का महत्व सिर्फ इसलिए नहीं है कि यहां हिम शिवलिंग का निर्माण होता है. इस गुफा का महत्व इसलिए भी है कि इसी गुफा में भगवान शिव ने अपनी पत्नी देवी पार्वती को अमरत्व का मंत्र सुनाया था. ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव साक्षात श्री अमरनाथ गुफा में विराजमान रहते हैं.
२ – इस गुफा में स्थित पार्वती पीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है. मान्यता है कि यहां भगवती सती का कंठ भाग गिरा था.
३ – यह गुफा लगभग 160 फुट लम्बी, 100 फुट चौड़ी और काफी ऊंची है. कश्मीर में वैसे तो 45 शिव धाम, 60 विष्णु धाम, 3 ब्रह्मा धाम, 22 शक्ति धाम, 700 नाग धाम तथा असंख्य तीर्थ हैं पर अमरनाथ धाम का सबसे अधिक महत्व है.
४ – काशी में लिंग दर्शन एवं पूजन से दस गुणा, प्रयाग से सौ गुणा, नैमिषारण्य तथा कुरुक्षेत्र से हजार गुणा फल देने वाला अमरनाथ स्वामी का पूजन है.
५ – हिमशिवलिंग पक्की बर्फ का बनता है जबकि गुफा के बाहर मीलों तक कच्ची बर्फ ही देखने को मिलती है. मान्यता यह भी है कि गुफा के ऊपर पर्वत पर श्री राम कुंड है.
६ – इस गुफा की खोज बूटा मलिक नामक एक मुसलमान गरेरिए ने की थी. वह एक दिन भेड़ें चराते-चराते बहुत दूर निकल गया. एक जंगल में पहुंचकर उसकी एक साधू से भेंट हो गई. साधू ने बूटा मलिक को कोयले से भरी एक कांगड़ी दे दी. घर पहुंचकर उसने कोयले की जगह सोना पाया तो वह बहुत हैरान हुआ. उसी समय वह साधू का धन्यवाद करने के लिए गया परन्तु वहां साधू को न पाकर एक विशाल गुफा को देखा. उसी दिन से यह स्थान एक तीर्थ बन गया.
७ – भगवान शंकर ने बहुत सालों तक टालने का प्रयत्न किया परन्तु अंतत: उन्हें अमरकथा सुनाने को बाध्य होना पड़ा. अमरकथा सुनाने के लिए समस्या यह थी कि कोई अन्य जीव उस कथा को न सुने. इसलिए शिव जी पांच तत्वों (पृथ्वी, जल, वायु, आकाश और अग्रि) का परित्याग करके इन पर्वत मालाओं में पहुंच गए और श्री अमरनाथ गुफा में पार्वती जी को अमरकथा सुनाई.
८ – अमरकथा गुफा की ओर जाते हुए वह सर्वप्रथम पहलगाम पहुंचे, जहां उन्होंने अपने नंदी का परित्याग किया. उसके बाद चंदनबाड़ी में अपनी जटा से चंद्रमा को मुक्त किया. शेषनाग नामक झील पर पहुंच कर उन्होंने गले से सर्पों को भी उतार दिया. प्रिय पुत्र श्री गणेश जी को भी उन्होंने महागुणस पर्वत पर छोड़ देने का निश्चय किया. फिर पंचतरणी नामक स्थान पर पहुंच कर शिव भगवान ने पांचों तत्वों का परित्याग किया.
९ – माता पार्वती के साथ ही अमरत्व का रहस्य शुक (तोता) और दो कबूतरों ने भी सुन लिया था. यह शुक बाद में शुकदेव ऋषि के रूप में अमर हो गए, जबकि गुफा में आज भी कई श्रद्धालुओं को कबूतरों का एक जोड़ा दिखाई देता है जिन्हें अमर पक्षी माना जाता है.
१० – किंवदंती के अनुसार रक्षा बंधन की पूर्णिमा के दिन भगवान शंकर स्वयं श्री अमरनाथ गुफा में पधारते हैं. रक्षा बंधन की पूर्णिमा के दिन ही छड़ी मुबारक भी गुफा में बने हिम शिवलिंग के पास स्थापित कर दी जाती है.
अमरनाथ गुफा – यहां भगवान शिव बर्फ के शिवलिंग के रूप में विराजमान है और ऐसी मानय्ता है कि अमरनाथ यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं की सारी मनोकामनाएं भगवान बर्फानी पूरी करते हैं.