जाने और अनजाने में किसी के हाथो किसी का कुछ बुरा हो जाता है या फिर कुछ ऐसे शब्द बोले जाते हैं कि दिल को चुभ जाते है तो इस बात से परेशान व्यक्ति कभी कभी अपना आपा ही खो बैठता है.
गुस्से में कुछ ऐसा बोल जाता है जिसका कभी-कभी उसे बाद में पछतावा भी होता है.
इस तरह की बद्दुआ के बारे में तो आप सुनते ही रहते है जो एक इंसान दूसरे इंसान को देता लेकिन इसके अलावा ईश्वरीय श्राप की बात भी की गई है.
आईए जानते है कुछ मशहूर श्रापों के बारे में और उनसे जुड़ी कथाओं के बारे में
1. स्त्रियों के पेट में नहीं पचेगी कोई बात-
कर्ण का जन्म कुंती के विवाह से पहले हुआ था लोकलाज के डर से उन्होंने ये बात सबसे छिपा कर रखी. यहां तक की पांडवों को भी ये बात पता नहीं थी जब युद्ध के बाद कुंती ने पांडवों को बताया कि कर्ण उनका भाई था तब तक बहुत देर हो चुकी थी . कर्ण अर्जुन के हाथों युद्ध में मारे जा चुके थे. जब कुंती ने उन्हें ये बात बताई तो उनके मुंह से एक श्राप निकला कि आज से कोई भी स्त्री कोई बात गुप्त नहीं रख पाएगी.
2. गांधारी का श्राप बना भगवान कृष्ण की मौत की वजह-
जब महाभारत के युद्ध में पांडवो के साथ लड़ाई करते हुए गांधारी के सौ पुत्रों की मौत हो गई तब रोते हुए गांधारी ने भगवान श्री कृष्ण को श्राप दिया कि उनके वंशज भी आपस में लड़ते हुए नष्ट हो जाएंगे.इसी वजह से उनका और उनके कुल का नाश हुआ ऐसा माना जाता है.
3. राम के पूर्वज ने दिया था रावण को राम के हाथों मरने का श्राप-
राम के कुल में एक प्रतापी राजा अनरण्य हुआ करते थे. अपने विश्वविजय के अभियान के दौरान रावण ने उन्हें युद्ध में हरा दिया. तब उनके मुंह से श्राप निकला कि उनके ही कुल का कोई पुत्र उनका नाश कर देगा. इस प्रकार उनके ही कुल में उत्पन्न भगवान राम के हाथो रावण का वध हुआ.
4. बंदरो की वजह से विनाश का श्राप मिला रावण को-
रामायण के अनुसार एक बार रावण शिवजी से मिलने पहुंचे तब उन्होंने नंदीजी की तुलना बंदर के मुंह से कर दी. नंदी जी ने नाराज होकर उन्हें श्राप दिया कि बंदरों की वजह से उनका विनाश होगा. रावण को परास्त करने में राम की वानरसेना का महत्वपूर्ण योगदान था.
5. बहन ने भी दिया रावण को श्राप-
जब रावण विश्वविजय के लिए निकले तो उन्होंने शूर्पणखा के पति का वध कर दिया तब शुर्पणखा ने मन ही मन रावण को श्राप दिया कि मैं ही तुम्हारे विनाश का कारण बनुंगी. जब लक्ष्मण ने शुर्पणखा की नाक काट दी तब रावण ने प्रतिशोध स्वरुप सीता का अपहरण कर लिया.
6. महर्षी वशिष्ठ के हाथों मिला भीम को आजीवन बिना अविवाहित रहने का श्राप-
कहते है कि आठ वसुओं ने महर्षी की गाय का अपहरण कर लिया था तब उन्हें श्राप मिला कि आठों वसुओं का जन्म मृत्युलोक में होगा और आठवे वसू को ना राजसी सुख मिलेगा ना ही स्त्री सुख मिलेगा. आठवें वसु के रुप में भीष्म पितामह के रुप में हुआ.
7. स्त्री की अनुमति के खिलाफ स्पर्श पर मौत का श्राप मिला रावण को-
कहते है कि रावण ने रंभा नाम की अप्सरा का दुराचार किया था जिसकी वजह उन्हें श्राप मिला था कि अगर वो किसी भी स्त्री को उसकी इच्छा के विरोध में स्पर्श करेंगे तो उनकी मौत हो जाएगी.
8. नारद के श्राप की वजह से सीता से बिछड़े राम-
देवऋषि नारद एक युवती पर मोहित हो गए उस कन्या के स्वयंवर में वे भगवान विष्णु के रूप में पहुंचे, लेकिन भगवान की माया से उनका मुंह बंदर की तरह हो गया. भगवान विष्णु भी स्वयंवर में पहुंचे. उन्हें देखकर उस युवती ने भगवान से विवाह कर लिया यह देखकर नारद मुनि बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने भगवान विष्णु को श्राप दिया कि जिस प्रकार तुमने मुझे स्त्री के लिए तरसाया है उसी प्रकार तुम भी स्त्री विरह का दु:ख भोगोगे. इसी वजह से जब त्रेता युग में भगवान विष्णु ने राम का अवतार लिया
तब उन्हें सीता से बिछड़ना पड़ा.
ये तो थे हिन्दू धर्म के प्रसिद्ध श्राप और उनसे जुड़ी हुई कहानियां
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