राजनीति

आप का क्या होगा जनाब ए आली !

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए खतरे की घंटी बज चुकी है.

क्योंकि पंजाब विधान सभा के जो चुनाव नतीजे आए हैं वह इस बात का साफ संकेत है कि आने वाले दिन उनके लिए बहुत परेशानी भरे साबित होने वाले हैं.

पंजाब में कांग्रेस के अच्छे प्रदर्शन से आम आदमी पार्टी की मुश्किल बहुत बढ़ गई है. वह इसलिए कि इसका असर दिल्ली में आने वाले उप चुनाव और नगर निगम चुनावों में भी पडे़गा.

ज्ञात हो कि दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की आप को जीत मिली है उसमें कांग्रेस एवं उसके समर्थक रहे वोटरों की बहुत बड़ी भूमिका रही है. आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस का वोटबैंक छीनकर ही दिल्ली में सरकार बनाई थी.

लेकिन पंजाब में मिली जीत और दिल्ली में आप के लचर शासन से संभावना है कि जो वोटर आप की तरफ चला गया था वो अब कांग्रेस की तरफ वापस आ सकता है.

वह इसलिए भी लेकिन पिछले साल हुए निगम की 13 सीटों के उपचुनाव में कांग्रेस ने वापसी के संकेत दिए और आप- कांग्रेस के वोट शेयर में केवल 5 फीसदी का अंतर रह गया था.

कांग्रेस के मजबूत होने का सीधा मतलब आम आदमी पार्टी के वोटों में सेंध लगना है.

इसकी परीक्षा भी 9 अप्रैल को राजौरी गार्डन सीट पर उपचुनाव में हो जाएगी. आपको बता दें कि यह सीट आप के राजौरी गार्डन से विधायक जरनैल सिंह के विधायकी छोड़ने के कारण खाली हुई है. जरनैल सिंह को आप ने पंजाब के सीएम प्रकाश सिंह बादल के सामने लड़ाया था, वहां से भी वे चुनाव हार चुके हैं.

माना जा रह है कि पंजाब में आप के खराब प्रदर्शन का नकारात्मक असर अब इस उप चुनाव पर भी पड़ेगा.

आप को बता दें कि ये सीट पहले अकाली दल नेता मनजिंदर सिंह सिरसा के पास थी. पूरी संभावना है कि वे वहां से फिर चुनाव लड़ेंगे. जिस प्रकार भाजपा को यूपी उत्तराखंड में और कांग्रेस को पंजाब में जबरदस्त बढ़त मिली है उसको देखते हुए लग रहा है कि इसका लाभ अकाली-भाजपा या कांग्रेस उम्मीदवार को मिल सकता है.

अगर ऐसा हुआ तो इस सीट से आप की हार से दिल्ली की बाकी जनता को यही संदेश जाएगा कि दिल्ली में अब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का जलवा कम हो गया है.

वहीं दूसरी ओर इसके बाद केजरीवाल के सामने एक ओर अग्नि परीक्षा मुंहबाए खड़ी है. क्योंकि दिल्ली में किसी भी वक्त नगर निगम चुनाव घोषित हो सकते हैं. अगर आम आदमी पार्टी राजौरी गार्डन उपचुनाव हारी तो लगातार पंजाब चुनाव और दिल्ली उपचुनाव हारने का नकारात्मक असर नगर निगम चुनाव पर भी पड़ सकता है.

कहीं आम आदमी पार्टी अपने गढ़ दिल्ली में ही निगम चुनाव हार गई तो अरविंद केजरीवाल के लिए खतरे की घंटी है. इस साल के अंत में होने वाले गुजरात चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके गढ़ में चुनौती देने की उम्मीदों को पलीता लग जाएगा.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुसीबत यहीं खत्म नहीं होने वाली है. उनकी पार्टी के 21 विधायकों जिन पर संसदीय सचिव बनकर लाभ के पद मामले में जांच चल रही है उनका फैसला भी जल्द आने वाला है.

16 मार्च से इस मामले में चुनाव आयोग अंतिम सुनवाई शुरू करेगा.

इस तरह से पंजाब की हार अरविंद केजरीवाल के लिए खतरे की घंटी है. अगर आप के ये 21 विधायक अपनी सदस्यता खो बैठे तो दिल्ली में 21 सीटों पर उपचुनाव यानी एक मिनी चुनाव हो जाएगा. वर्तमान में जो स्थिति है उसको देखते हुए दिल्ली में केजरीवाल और उनकी पार्टी की छवि कोई बहुत अच्छी नहीं है, ऐसा माना जा रहा है.

Vivek Tyagi

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