कहते हैं कि जो दिल के सबसे ज्यादा करीब होता है वही सबसे ज्यादा तकलीफ भी देता है।
दिल्ली सल्तनत के बादशाह अलाउद्दीन खिलजी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। बहुत कम लोग जानते हैं कि खिलजी को बच्चाबाज़ी का शौक था और अपने इस शौक को पूरा करने के लिए उसके हरम में सैकड़ों गुलाम रखे गए थे।
ऐतिहासिक कथा के अनुसार अलाउद्दीन खिलजी रानी पद्मावती को पाने के लिए आतुर था लेकिन वास्तविकता तो कुछ और ही है। दरअसल, रानी पद्मावती को पाने की जिद करना तो उसके अहं को लगी ठेस को मिटाने का एक बहाना था।
बच्चाबाज़ी के शौक की कहानी
इतिहासकारों की मानें तो खिलजी को औरतों से ज्यादा कम उम्र के लड़कों में दिलचस्पी थी और अंत में उसका यही शौक उसकी मृत्यु का कारण बना। खिलजी के हरम में 70 हज़ार मर्द, महिलाएं और बच्चे रहते थे। इन 70 हज़ार में से 30 हज़ार महिलाएं ऐसी थीं जिन्हें खिलजी की फौज ने मारा था। खिलजी बच्चों का खास शौकीन था और इसी बच्चाबाज़ी के चक्कर में उसकी हत्या हुई।
खिलजी का सबसे करीबी था मलिक कफूर। खिलजी ने उसे तब खरीदा जब वो गुलामों के बाज़ार में बिकने आया था। पद्मावती पर मोहित होने से पहले खिलजी मलिक के साथ ही रातें गुज़ारता था। मलिक खिलजी का भरोसेमंद सलाहकार तो था ही खिलजी की सेना भी उसी के इशारों पर चलती थीं।
तबियत खराब होने पर खिलजी अपने बेटों में से किसी एक को गद्दी पर बैठाना चाहता था लेकिन मलिक की नज़र किशोरावस्था से ही दिल्ली के तख्त पर थी। दिल्ली का तख्त जाते देख मलिक ने खिलजी की नसों में ज़हर घोल दिया जिससे उसकी मौत हो गई।
रानी पद्मावती पर हुआ मोहित
बताया जाता है कि अलाउद्दीन खिलजी असल जिंदगी में किसी जल्लाद से कम नहीं था। खिलजी अगर अपने जीवन में किसी चीज़ की चाहत कर लेता था तो वो उसके लिए खून की नदियां तक बहा देता था। सत्ता की भूख उसे इस कद्र थी कि उसने अपने चाचा की हत्या कर दिल्ली सल्तनत पर कब्जा कर लिया था।
कहा जाता है कि अलाउद्दीन खिलजी की नज़र चित्तौढ़ से ज्यादा उसकी खूबसूरत रानी पद्मावती पर थी। जब पद्मावती को पाने के लिए खून की नदियां बहाकर खिलजी ने चित्तौढ़ पर जीत हासिल कर ली तो उसकी इच्छा थी कि वो रानी पद्मावती के साथ सभी महिलाओं को अपने हरम में रखेगा। लेकिन उसकी ये चाहत पूरी नहीं हो पाई।
रानी पद्मावती ने चित्तौढ़ की सभी महिलाओं के साथ आत्मदाह यानि जौहर कर लिया। जौहर कुंड से महिलाओं के चीखने की जो आवाज़ें आ रहीं थीं जो मरते दम तक खिलजी के कानों में गूंजती रहीं।
इस तरह खिलजी का बच्चाबाज़ी का शौक ही उसकी मौत का कारण बन गया।