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अल कायदा और बिन लादेन में भी थी इंसानियत

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इसके अलावा ये भी आदेश था के आस पास के इलाकों में पेड़ नहीं काटे जाएँ और अधिक से अधिक पेड़ लगाये जाएँ जिससे पर्यावरण में बदलाव ना आ सके.

उसी समय के एक और दस्तावेज में ये आदेश दिए गए थे कि अल कायदा के सदस्य उन स्थानों पर जाकर लोगों की मदद करे जहाँ के लोग पर्यावरण में बदलाव की वजह से पीड़ित है. जैसे की तूफ़ान, बाढ़, तेज़ गर्मी, हिमपात से ग्रसित इलाके.

इसके साथ साथ एक और बात जो कही गयी थी वो ये थी कि उन पीड़ितों की मदद ना की जाए जो हिन्दू या ईसाई हो.

पर्यावरण को लेकर बिन लादेन कितना चिंतित था इसका पता इस बात से चलता है कि 2010  में बिन लादेन ने एक टेप जारी किया था.

जिसमे उसने अलग अलग सरकारों को पर्यावरण में होने वाले बदलाव और ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से लड़ने के लिए अलग अलग उपाय बताये थे.

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इसके अलावा लादेन ने सरकारों से पर्यावरण बचाव के लिए टास्क फ़ोर्स के गठन का भी सुझाव दिया इसके अलावा लादेन ने खेती और वृक्षारोपण को भी बढ़ावा देने का सुझाव दिया था.

पर बिन लादेन के सुझावों को किसी ने मानने की जहमत नहीं उठाई ,वो कहते है है ना कि हर बुरे में भी कोई ना कोई अच्छाई ज़रूर होती है . इन दस्तावेजों से पता चलता है कि अल कायदा और बिन लादेन में भी थी इंसानियत

अलकायदा ने कोशिश की थी बचाने  की दुनिया तो क्यों साथ नहीं दिया देशों ने .
जब बिन लादेन जैसा खतरनाक आतंकी पर्यावरण के लिए चिंतित हो सकता है तो फिर हम क्यों नहीं ?

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