यह अक्षय तृतया हिन्दुओं के लिए विशेष महत्व रखता है.
वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तीसरी तारीख के दिन को अक्षय तृतया कहा जाता है .
अक्षय तृतया खास इसलिए है क्योकि युगों पहले इसी दिन से त्रेतायुग का प्रारंभ हुआ था और भगवान् परशुराम जो दुनिया के 7 चिरंजीव में से एक है उनका इसी दिन जन्म हुआ था. इसलिए इस तारीख को सौभाग्य दिन भी कहते है.
आज के दिन भगवान् बदरीनाथ के कपाट खुलते है.
आज के दिन सतयुग का प्रारंभ हुआ था. भगवान् विष्णु के नर नारायण और हयग्रीव अवतार का जन्म भी हुआ था. ये सब अक्षय तृतया को ही हुआ था.
इसी दिन भगवान शिव ने प्रसन्न होकर कुबेर धनदेव और लक्ष्मी देवी को धन संपत्ति की देवी का वरदान दिया था.
जैसे हम सब जानते है – किसी भी शुभ कार्य के लिए अक्षय तृतया सबसे शुभ महूरत माना जाता है. लेकिन इस बार मृगशिरा नक्षत्र और सुकर्म योग दोनों अक्षय तृतया पर पड़े हैं इसलिए यह अक्षय तृतया अनेक कार्य के लिए अशुभ होगा.
लेकिन यह अक्षय तृतया – 9 मई 2016 – का संयोग 100 साल के बाद आया है, जो कुछ कार्यों के लिए अशुभ है.
इस दिन विवाह नहीं हो सकता क्योंकि विवाह के लिए गुरु और शुक्र का प्रबल होना जरुरी होता है, लेकिन इस बार 9 मई से शुक्र अस्त रहेगा. ऐसी स्थिति होने पर विवाह टाल दिया जाना सही होता है. इस साल अब सीधे नवम्बर से विवाह लगन शुरू होगा क्योकि 15 जुलाई से देवशयनी एकादशी होगी जिसमे भगवान् विष्णु विश्राम के लिए चार माह पाताल लोक में चले जाते है और फिर कार्तिक एकादशी या देवउठनी एकदशी को आते है. तब हिन्दू धर्म में विवाह मुहूर्त शुरू होता है.
इस अक्षय तृतया में केवल विवाह ही नहीं बल्कि और भी अनेक कार्यों को जैसे गृहप्रवेश, वधु प्रवेश नामकरण देवस्थापना, शिलान्यास भूमिपूजा, बड़ा व्यापार शुरू करना, नहीं कर सकते क्योकि इस अक्षय तृतया में शुक्र ग्रह अस्त होने के कारण कार्य का शुभत्व का क्षय होताहै. इस सब कार्यों में विघन, हानि और परेशानियाँ और अशुभ होने की सम्भावना होती है.
गृह खरीदी, मन्त्र दीक्षा मुंडन तीर्थ यात्रा देव दर्शन, उपनयन संस्कार, अधिकारी से मिलना जैसी चीज़ें कर सकते है.
आज अमृत सिद्धि योग रहेगा जिसमे सोना, चांदी, पीतल खरीदना फलदायक होता है. इसके अलावा सर्वार्थ सिद्धि योग में इलेक्ट्रोनिक सामान जैसे मोटर सायकल, वाशिंग मशीन, फिज, कूलर, एसी मिक्सी खरीद सकते है.
आज का दिन दानपुन्य के लिए विशेष महत्व रखता है. आज के दिन पंखा घड़ा, ककड़ी-खीरा, तरबूज दही, पनीर छेना दूध की बनी वस्तु, खीर, आनाज, तिल, लोहा, नारियल, काला, नमक, पीला कपडा, जूता श्रृंगार सामान, फल, खाना दान में दे सकते हैं.
आज के दिन दुर्गासप्तशती का पाठ, सुंदरकांड का पाठ, सरस्वती पूजा और गंगाजल से स्नान किया जाना उतम माना जाता है.
इस अक्षय तृतया को खास बनने के लिए आप दान पुन्य करे और नुकसान से बचें .
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