एक ओर जहां बलूचिस्तान के लोग हाथों में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर लेकर उनके समर्थन में जिंदाबाद के नारे लगा रहे हैं वहीं बलूचिस्तान के पूर्व सीएम अख्तर मैंगल को लगता है कि नरेंद्र मोदी बलूचिस्तान की आजादी की बात कर उनके साथ राजनीति कर रहे हैं.
यही नहीं उनका आरोप है कि जिस प्रकार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ कश्मीर को लेकर वहां की जनात के साथ राजनीति कर रहे हैं तो बदले में भारत भी पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए बलूचिस्तान के लोगों की भावनाओं के साथ खेल रहे हैं.
मोदी और भारत को लेकर उनके इस आरोप पर राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बलूचिस्तान नैशनल पार्टी मैंगल यानी बीएनपीएम के नेता अख्तर मैंगल बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. लेकिन हाल में जिस प्रकार बलूचिस्तान के विदेशों में रह रहे नेताओं से भारत ने संपर्क साधा है उससे अख्तर मैंगल को लगता है कि उनकी बलोची लोगों के बीच पकड़ ढ़ीली पड़ सकती है.
बता दें कि बलूचिस्तान का मुद्दा जब से नरेंद्र मोदी ने उठाया है तो निर्वासित नेताओं ने उनका शुक्रिया अदा कर उनसे बलूचिस्तान की आजादी के लिए मदद मांगी है. बलूचिस्तान में इन निर्वासित नेताओं के पक्ष में लोग एकजुट हो रहे हैं. उनको लगता है कि जिस प्रकार का माहौल बन रहा है उसमें भारत ने जैसे बांग्लादेश को पाकिस्तान से अलग कर वहां की जनता को पाक सेना के जुल्मों सितम से बचाया था उसी प्रकार भारत इस बार उनकी मदद करेगा.
बलूचिस्तान के लोगों के निर्वासित नेता बुगती और मारी में समर्थन में आने से अख्तर मैंगल को लगता है कि बलूची जनता उनको अपने भावी नेता के रूप में देख रही है. यदि ऐसा हुआ तो बलूची लोगों में उनकी पकड़ कमजोर हो जाएगी.
अपने इस बयान के जरिए वे बलूचिस्तान के निर्वासित नेताओं को भी शक के दायरे में खड़ा करना चाह रहे हैं. ताकि बलूची लोगों को उनसे दूर किया जा सके. इसलिए वे लोगों को कह रहे हैं कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनका राजनीतिक लाभ उठा रहे हैं. उनका कहना है कि मोदी का बलूचिस्तान में कोई हित नहीं है और न ही उनका यहां के लोगों से कोई सरोकार है. इसी प्रकार पाक प्रधानमंत्री का कश्मीर में कोई हित नहीं वे सिर्फ वहां लाशों की राजनीति कर रहे हैं.
दरअसल, बलोच नेता अख्तर मैंगल का शुरूआत में रूझान पाकिस्तान के साथ रहा है. लेकिन जब उनको पाकिस्तान का असली रूप मालूम हुआ तो उनको झटका लगा. इस बीच वे एक ओर जहां पाक सेना और सरकार का विश्वास खो बैठे तो वहीं पाक के नजदीक जाने के कारण बलोच लोगों के मन में उनके प्रति गुस्सा है.
यही कारण है कि इन बदली परिस्थितियों में उनके सामने विकल्प सीमित हो गए हैं और अख्तर मैंगल इन बयानों के जरिए अपनी खोई राजनीतिक जमीन तलाश रहे हैं.