इतिहास

क्या महाराणा प्रताप से डरता था बादशाह अकबर!

महाराणा प्रताप का नाम भारत के सबसे वीर योद्धाओं में आता है.

राजस्थान ही नहीं पूरे भारत में उनके युद्ध कौशल और शक्ति का कोई सानी नहीं था. बचपन से ही प्रताप बहुत बहादुर थे. राणा प्रताप शुरू से ही जनता के शासक थे. उनके लिए अपने राज्य और अपनी प्रजा से बढ़कर कुछ नहीं था.

जब बादशाह अकबर ने प्रताप को मेवाड़ मुग़ल सल्तनत में मिलाने को कहा तो महाराणा प्रताप ने समझौता नहीं युद्ध करना स्वीकार किया.

अकबर और महाराणा प्रताप के बीच का युद्ध हल्दी घाटी की लड़ाई के नाम से प्रसिद्ध है. अकबर ने पूरे दल बल के साथ हल्दी घाटी में डेरा दाल दिया था. शक्ति और सेना के मामले में अकबर महाराणा प्रताप से कहीं ज्यादा था.

लेकिन युद्ध नीति और व्यूह रचना और गुरिल्ला युद्ध जैसी खासियत के साथ महाराणा प्रताप किसी भी मायने में अकबर से कम नहीं थे.

महाराणा प्रताप ने युद्ध के लिए जान बूझ कर हल्दीघाटी का स्थान चुना था. इसके कई कारण थे .

हल्दीघाटी का क्षेत्र बहुत संकरा था जिस वजह से एक बार में बड़ी सेना का वहां पहुंचना मुश्किल था. हल्दीघाटी के आसपास की पर्वत श्रृंखला और खंदको की वजह से गुरिल्ला युद्ध करने के लिए सबसे उपयुक्त स्थान था.

अकबर की सेना में हाथियों की संख्या ज्यादा थी और प्रताप के पास घोड़ों की संख्या ज्यादा थी. घाटी के क्षेत्र में हाथी से ज्यादा उपयोगी घोड़े होते थे.

महाराणा प्रताप की सेना में गुरिल्ला युद्ध करने वालों में भेलों की संख्या ज्यादा थी. भील गोफण और तीर कमान चलाने में माहिर होते है और घाटी जैसी जगह में वो आसानी से दुश्मन पर गुरिल्ला हमला कर सकते थे.

हल्दी घाटी का युद्ध शुरू हुआ और लगातार चलता रहा. दोनों ही पक्षों को जान माल का बहुत नुक्सान हो रहा था.

प्रताप ने तो जैसे हार ना मानने की ठान रखी थी .

मेवाड़ की कहानियों और कविताओं में इस बार का  आहूत बार ज़िक्र आता है कि महाराणा प्रताप की वजह से अकबर बहुत परेशान रहता था.

अकबर की सेना और संसाधन एक राज्य को जीतने की कोशिश में लगे थे और सफलता नहीं मिल रही थी.

जून 1576 में प्रताप और अकबर के बीच भीषण युद्ध हुआ. लेकिन इस युद्ध में ना अकबर जीता ना महाराणा प्रताप. इस भीषण युद्ध में करीब 18000 सैनिकों की मौत हुई. इतना खून बहा की उस स्थान का नाम ही रक्त तलाई पड़ गया.

अकबर के हाथियों का मुकाबला महाराणा प्रताप के घोड़ों ने किया.

अकबर का सेनापति मानसिंह  हाथी पर स्वर होकर युद्ध कर रहा था. अपने विश्वासपात्र घोड़े चेतक पर सवार होकर मानसिंह से भिड गए थे.

मानसिंह के महावत को मारने के बाद तलवार के वार से चेतक का भी पैर घायल हो गया. लेकिन स्वामिभक्त चेतक ने महाराणा प्रताप को बचा लिया. महाराणा प्रताप को युद्ध क्षेत्र से बाहर निकालने में झाला मानसिंह का भी बहुत बड़ा योगदान था जिन्होंने अपनी जान देकर भी मेवाड़  की आन बान और शान  महाराणा प्रताप की रक्षा की थी.

मेवाड़ की लोक कथाओं और लोकगीतों में कहा जाता है कि महाराणा प्रताप के बारे में सोचकर अकबर नींद से ऐसे जाग जाता था जैसे उसने अपने बिस्तर पर कोई सांप देख लिया हो.

महाराणा प्रताप के जीते जी अकबर कभी उनका राज्य नहीं हथिया सका, प्रताप की मृत्यु के बाद ही अकबर का उनके राज्य पर अधिकार हुआ.

Yogesh Pareek

Writer, wanderer , crazy movie buff, insane reader, lost soul and master of sarcasm.. Spiritual but not religious. worship Stanley Kubrick . in short A Mad in the Bad World.

Share
Published by
Yogesh Pareek

Recent Posts

इंडियन प्रीमियर लीग 2023 में आरसीबी के जीतने की संभावनाएं

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) दुनिया में सबसे लोकप्रिय टी20 क्रिकेट लीग में से एक है,…

2 months ago

छोटी सोच व पैरो की मोच कभी आगे बढ़ने नही देती।

दुनिया मे सबसे ताकतवर चीज है हमारी सोच ! हम अपनी लाइफ में जैसा सोचते…

3 years ago

Solar Eclipse- Surya Grahan 2020, सूर्य ग्रहण 2020- Youngisthan

सूर्य ग्रहण 2020- सूर्य ग्रहण कब है, सूर्य ग्रहण कब लगेगा, आज सूर्य ग्रहण कितने…

3 years ago

कोरोना के लॉक डाउन में क्या है शराबियों का हाल?

कोरोना महामारी के कारण देश के देश बर्बाद हो रही हैं, इंडस्ट्रीज ठप पड़ी हुई…

3 years ago

क्या कोरोना की वजह से घट जाएगी आपकी सैलरी

दुनियाभर के 200 देश आज कोरोना संकट से जूंझ रहे हैं, इस बिमारी का असर…

3 years ago

संजय गांधी की मौत के पीछे की सच्चाई जानकर पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक जाएगी आपकी…

वैसे तो गांधी परिवार पूरे विश्व मे प्रसिद्ध है और उस परिवार के हर सदस्य…

3 years ago