राजा अकबर को हम सभी एक सभ्य और बहुत ही नेक दिल शासक के रूप में समझते हैं.
आज तक हम सभी को यही लगता है कि उसने प्रेम निशानी ताजमहल को बनाकर सभी पर कितना उपकार किया है.
किन्तु सत्य वह नहीं होता है जो आसानी से हमको नजर आ रहा होता है.कई बार सत्य असत्य के पीछे छुपा हुआ होता है जिसे खोजना पड़ता है.
ऐसा ही के सत्य है कि राजा अकबर ने एक बार अपनी हवस मिटाने के लिए दो दिलों का कत्ल करवाया था.
असल में अकबर को एक रानी बहुत अच्छी लगी. तब उसने रानी के पति को खत लिखकर अपनी पत्नी अकबर के सामने लाने को कहा. तब उस स्वाभिमानी पति ने यही जवाब अकबर को लिखकर भेजा कि वह अपनी पत्नी को पहले एक बार उसके सामने हाजिर करे.
अकबर इस बात से काफी गुस्से में आया और पति को जेल में डाल दिया था. जब पति जेल में था तब अकबर ने रानी को पाने की एक आखिरी कोशिश की लेकिन उस रानी ने अकबर का होना स्वीकार ना करते हुए आत्महत्या कर ली थी.
इस पूरी कहानी को पढ़कर निश्चित रूप से आपका नजरिया अकबर के प्रति बदल जाएगा. आज तक आप जिस व्यक्ति को महान बोलते आये हो अब उसके प्रति आपका नजरिया बदलेगा.
एक मकबरा जो इस बात की निशानी है
सारंगपुर के नजदीक बना यह मकबरा शहंशाह अकबर ने 1568 ईस्वी में बनवाया था. दो प्रेमियों को अलग करने का पछतावा दिन-रात अकबर को परेशान कर रहा था. ऐसे में अकबर ने बाज बहादुर के मकबरे पर ‘आशिक ए सादिक’ और रानी रूपमति की समाधि पर ‘शहीदे ए वफा’ लिखवाया था.
कौन थी यह रानी
अगर आप इतिहास की पुस्तकों में रानी रूपमती का खोजेंगे तो आपको यह कहानी प्राप्त हो सकती है.
रानी रूपमती की आवाज और खूबसूरती की चर्चा पूरे राज्य में थी. जब अकबर तब इस खूबसूरती का पता चला तो वह रानी को पाने के लिए दीवाना हो गया. अकबर ने पहले कोशिश की, लेकिन रानी को वह प्राप्त नहीं कर पाया था. तब अकबर ने रानी के पति सुल्तान बाज बहादुर पर न सिर्फ हमला करवाया था, बल्कि उन्हें बंदी भी बना लिया था.
इस बात से दुखी रानी रूपमती ने हीरा गिलकर अपनी जान दे दी थी.
रानी की मौत से दुखी अकबर ने फौरन बंधक बनाए प्रेमी बाज बहादुर को मुक्त कर दिया था.