क्या आपको मालूम है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम में एक ऐसा जेम्स बांड है जो भारत के दुश्मनों को निपटाने के लिए हर समय किसी न किसी मिशन पर लगा होता है.
दुनिया के कोने कोने में फैले उसके जासूस पल पल जानकारियां उसको भेजते रहते हैं.
जी हां, ये शख्स कोई ओर नहीं बल्कि नरेंद्र मोदी के सबसे भरोसेमंद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल है.
वही डोवाल जिसका नाम सुनकर पाकिस्तान कांपने लगता है.
पाकिस्तान को उसके घर में घुसकर मारने की जो रणनीति बनी थी उसमें भी अहम किरदार अजित डोवाल ने ही निभाया था. डोवाल ने सेना के सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर न केवल सीमा पार से खुफियां जानकारी को जुटाया बल्कि इस पूरे आॅपरेशन को लीड भी किया था. बतां दे कि म्यांमार में भारतीय सेना ने जो सर्जिकल स्ट्राइक की थी उसको भी अजित डोवाल ने ही लीड किया था.
दुश्मन के इलाके में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक करने के लिए अचूक अस्त्र और कंमाडों के साथ जिस चीज का की सबसे अधिक जरूरत होती है वह सटीक खुफिया जानकारी. इसके बिना दुनिया में कोई सर्जिकल हमला सफल नहीं हो सकता है.
पाक आतंकी संगठनों में भी अजित डोवाल के जासूस मौजूद
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि पाकिस्तान के आतंकी संगठनों में भी डोवाल के जासूस मौजूद है. जिनसे डोवाल को पाकिस्तान के आतंकी संगठनों की अंदरूनी जानकारी मिलती रहती हैं. लिहाजा, पाकिस्तान के चप्पे चप्पे से वाकिफ डोवाल के कंधों पर ही सीमा पार से खुफिया जानकारी एकत्रित करने की अहम जिम्मेंदारी थी. जिसे उनके नेतृत्व में सेना और राॅ की खुफिया युनिट बहुत ही बेहतर तरीके से अंजाम दिया.
डोवाल ने 7 साल पाकिस्तान में रहकर जासूसी की
प्रधानमंत्री मोदी अजित डोवाल पर इतना भरोसा क्यों करते हैं इसके पीछे कारण है. जासूसी की दुनिया में अजित डोवाल का कोई तोड़ नहीं है. इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि डोवाल 7 वर्ष गुप्त रूप से एक पाकिस्तान में एक अंडरकवर एजेंट के रूप में भी रहे हैं. यही नहीं, उन्होंने 3 साल ब्रिटेन में भी अंडरकवर एजेंट के रूप में भी काम किया है.
डोवाल के नाम से इसलिए भय खाता है पाकिस्तान
पाकिस्तानी मीडिया और जनता में डोवाल का इतना खौफ है कि वे उसको अजित डोवाल नहीं अजित डेविल कहते हैं. उनका मानना है कि अजित डोवाल का शैतानी दिमाग में हमेशा ही पाकिस्तान को तोड़ने और बर्बाद करने की योजना चलती रहती है.
डोवाल के नाम से पाकिस्तान क्यों भय खाता है इसके पीछे एक और वजह भी है. वह यह कि अजित डोवाल के पाकिस्तान के परमाणु केंद्र जो कहुटा में है, वहां भी रहे हैं. उनके पास पाक के परमाणु ठिकानों की भी अहम जानकारियां है.
रिस्क लेने से घबराते नहीं है.
उर्दू बोलने और लिखने में माहिर मोदी के इस जेम्स बांड की खासियत है कि ये कभी रिस्क लेने से घबराता नहीं है. मिशन को हमेशा आगे बढ़कर लीड करना डोवाल की विशेषता है. इसके लिए वे अपनी जान को जाखिम में डालने से भी पीछे नहीं हटते हैं. देखा गया कि सीनियर अधिकारी कभी इस प्रकार डेयर डेविल स्टैप नहीं लेते हैं जिस प्रकार के डोवाल उठा लते हैं. बताया जाता है कि पठानकोट हमले के बाद से ही डोवाल मौके की तलाश में थे.
सेना के कीर्ति चक्र से भी सम्मानित
आपको बता दें कि मूल रूप से उत्तराखंड के रहने वाले डोवल 1968 बैच के केरल काडर के आईपीएस अधिकारी हैं. डोवाल ने अपनी पुलिस की नौकरी का अधिकांश समय खुफिया ब्यूरों में ही बिताया है. डोवाल भारतीय पुलिस के एक मात्र अधिकारी हैं जिन्हें सेना के पदक क्रीति चक्र प्रदान किया गया है. अब इसी से आपको उनकी ताकत का अंदाजा हो गया होगा.
मोदी से पहले ही पहुंच जाता है जेम्स बांड
नरेंद्र मोदी के इस जेम्स बांड की ताकत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि प्रधानंमत्री दुनिया के किसी भी कोने में जाते हैं तो ये शख्स हमेंशा ही उनके इर्द गिर्द रहता है. अजित डोवाल नरेंद्र मोदी के विदेश में पहुंचने से पहले ही वहां पहुंच जाते हैं. क्योंकि उनके कंघों पर देश के साथ प्रधानमंत्री की सुरक्षा की भी जिम्मेंदारी है.
आपको ध्यान होगा कि कश्मीर में आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद जब हालात बिगड़े तो उन्हें काबू में करने के लिए प्रधानमंत्री ने विदेश दौरे के बीच से ही अजित डोवाल को भारत भेज दिया था.
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