किसी भी देश में जब प्राकृतिक आपदा आती है तो वो उसे जड़ से हिला कर रख देती है.
नेपाल जैसे छोटे देश में तो इसका असर बहुत ही खराब पड़ता है. हाल ही में आये भूकंप ने भी नेपाल की नीव को हिला कर रख दिया और गरीबों की संख्या बढ़ा दिया.
नेपाल की स्थिति वैसे भी आर्थिक तौर पर ज्यादा अच्छी नहीं और उसपर भूकंप के कहर ने तो इसे हिला कर ही रख दिया है. पिछले तीन दशक में नेपाल में जो सुधार होने की शुरुआत हुई थी, उन सबपर भूकंप का बहुत ही बुरा असर हुआ है.
पिछले कुछ दशकों में, नेपाल ने मानव विकास सूचकांक पर तेजी से सुधार दर्ज की थी. पर नेपाल भूकंप ने बुनियादी जरूरतों जैसे- कृषि, शिक्षा, पानी, साफ-सफाई, स्वास्थ्य, और मानव विकास के महत्वपूर्ण तत्वों को प्रभावित किया. जिससे की वहां का जनजीवन काफी असामान्य हो गया है.
PDNA के अनुसार भूकंप ने नेपाल में 513 करोड़ रुपये का नुक्सान किया है.
इस वक़्त नेपाल का जन जीवन वापस पटरी पर लाने के लिए 6.66 अरब डालर की आवश्यकता है.
इस भूकंप का असर 36 जिलों में पड़ा, जिसमे से 14 जिले तो बुरी तरह भूकंप से प्रभावित हुए, जहाँ 8,800 लोगो की मृत्यु हुई और हजारो लोग घायल हुए. भूकंप से तबाह जिले नेपाल के सबसे गरीब जिलों में तो नहीं आते। मगर ग्रामीण क्षेत्र में जो की भूकंप से प्रभावित हुए उन क्षेत्रों में रह रहे आबादी का 26.5 प्रतिशत गरीबी रेखा के नीचे पहुँच गया.
इस वक़्त नेपाल को मदद की आवश्यकता है. इसके लिए 25 जून को PDNA की रिपोर्ट विश्व कांफ्रेंस में डोनर कम्युनिटी के सामने रखी जायेगी. नेपाल में संसाधनों के पुनर्निर्माण के लिए इस वक्त उसे मदद की जरूरत है.
मानसून के वक़्त में नेपाल के निवासियों को सबसे ज्यादा बुनियादी चीजों की आवश्यकता है. संयुक्त राष्ट्र का भी यही कहना है की नेपाल को दी जा रही मदद पर्याप्त नहीं है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार करीब 1.4 लाख लोगो को इस वक़्त सिर्फ खाद्य पदार्थों की जरूरत है. क्योंकि कृषि को भूकंप से काफी नुकसान हुआ है. करीब 5.6 लाख लोगो को स्वस्थ्य संबधित देखभाल की जरूरत है. भुकंप ने स्कूल, कॉलेज, घर, मंदिर, सडक सबको नुक्सान पहुँचाया है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार मई महीने के अंत तक करीब 1 मिलियन बच्चों ने स्कूल जाने की शुरुआत नहीं की थी. क्यूँ की स्कूल जर्जर हालत में थे.
अभी भी हजारो लोग राहत कैंप में रह रहे हैं.
भूकंप से करीब 5 लाख घर बर्बाद हो गए और करीब 2 लाख 69 हज़ार घरो को क्षति पहुंची है.
इस वक़्त नेपाल को मदद की आवश्यकता है और विश्व को मानवीय आधार पर उसे सहायता प्रदान करनी चाहिए.
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