बन्दर से इंसान बने हुए हमें करीब ४ लाख साल हो गए हैं!
धीरे-धीरे प्रगति की हमने लेकिन पिछले करीब दो सौ सालों में धरती को तहस नहस करने में कोई कसर नहीं छोड़ी!
उसी तरह क्रिकेट की शुरुआत यूँ तो सोलहवीं शताब्दी में हुई थी, पिछले करीब ७-८ सालों में हमने उसे भी बर्बाद करने का हर ज़रिया पैदा कर लिया है!
हैरान मत होईये और अपने आस-पास ग़ौर से देखिये|
क्रिकेट के नाम पे कुछ बिक रहा है तो वो सिर्फ आई पी एल है जिस में क्रिकेट का अच्छा खिलाडी होना ज़रूरी नहीं है| बस इतना हो की ढेर सारे चौक्के-छक्के मार सकें और करीब दो-ढाई घंटे के लिए ग्राउंड में रह सकें, बस बन गए आप खिलाडी! फिर कोई नहीं पूछेगा कि आपको खेल की समझ कितनी है, क्या आप सच में इस खेल के मूल सिद्धांतों से वाकिफ़ हैं या नहीं या आपकी खेल की तकनीक कितनी मज़बूत है| बल्कि आप पर लाखों करोड़ों की बरसात होगी, आप हीरो करार कर दिए जाएंगे और आपकी हर गलती माफ़ होगी|
लेकिन जैसे ही आप विदेश दौरे पर जाएंगे, पूरे देश की नाक बार-बार लगातार कटवा कर आएंगे, वो भी इस विश्वास के साथ की देश जाए भाड़ में, अगले आई पी एल में फिर से रन बनाके सबको खुश कर डालूँगा!
यह पढ़ के आपको दुःख हो रहा होगा लेकिन सच यही है| ज़रा ग़ौर कीजियेगा, सचिन तेंदुलकर रिटायर हो गए और अब बी एम डबलू की एड करते नज़र आते हैं| विराट कोहली खेल से ज़्यादा प्रेम-प्रसंगों में पाये जाते हैं| युवराज सिंह को करोड़ों में खरीदने वाली दिल्ली उनके खराब प्रदर्शन की वजह से सर पीट रही है| वहीँ धोनी भी खेल से करोड़ों कमा के नए-नए व्यापारों के बारे में सोच रहे हैं!
इन में से एक भी खिलाडी ऐसा नहीं है जो टेस्ट क्रिकेट के बारे में सोच रहा हो या कोई ऐसा क़दम उठा रहा हो जिस से की इस खेल का विकास हो सके| आने वाली नस्लों के लिए यह सिर्फ पैसे कमाने का एक ज़रिया ही होगा, और कुछ नहीं!
हो सकता है कल के खिलाडी अपने विज्ञापनों, टीवी शोज और फिल्मों से वक़्त निकाल कर क्रिकेट खेलते नज़र आएं!
कुछ दिन पहले सुना था कि टेस्ट क्रिकेट का वर्ल्ड कप खेल जाएगा लेकिन उस कार्यक्रम पर भी ताला लगा हुआ है| देश के गौरव के लिए हर टीम वर्ल्ड कप जीतना चाहती है लेकिन वो तो चार साल में एक बार आता है|
बाकि का वक़्त, बस पैसा कमाया जाए, है ना?
अगर ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब क्रिकेट की समझ रखने वाले, उसे सही तरीके से खेलने वाले, हमें दूसरे देशों से आयात करने पड़ेंगे!