ये सब कहने का मतलब ये नहीं कि शराब का समर्थन किया जा रहा है, इसके पीछे तार्किक कारण है और वो ये है कि महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई देश की आर्थिक राजधानी भी है. आर्थिक राजधानी होने के साथ साथ मुंबई में फिल्म उद्योग और पर्यटन उद्योग भी बहुत उन्नत है.
ऐसे में अगर शराब बंदी कर दी जाएगी तो उसके दो प्रमुख नुक्सान होंगे
पहला – शराब की तस्करी बढ़ेगी और इस से हर तरह का अपराध भी बढेगा. इसका कारण ये है कि शराब पीने पर रोक लगाना लगभग असम्भव है. गुजरात में भी शराब पर बैन है पर वहां या तो तस्करी से शराब आती है या फिर लोग दमन दीव जाते है शराब पीने के लिए.
महाराष्ट्र में भी ऐसा ही होगा.
दूसरा – आर्थिक नुक्सान. औद्योगिक राजधानी होने की वजह से यहाँ शराब की खपत ज्यादा है, साथ ही साथ फिल्म उद्योग में भी शराब आम बात है.
अगर महाराष्ट्र में शराब पर बैन लगता है, तो रेस्टोरेंट, बार सब बंद हो जायेंगे. एक तरफ सरकार मुंबई को रात भर खुला रखने और डांस बार पर से बैन हटाने की बात करती है, दूसरी तरफ शराब बंदी की .
हो सकता है आप लोगों को लगे कि शराब जैसे नशे का पक्ष क्यों लिया जा रहा है?
ये शराब का पक्ष नहीं ये स्वतंत्रता का पक्ष है. हर व्यक्ति को स्वतंत्रता होनी चाहिए. शराब कोप्रचारित नहीं करना चाहिए पर साथ ही साथ उस पर रो ब नहीं लानी चाहिए.
रोक लगाने से तस्करी और अन्य अपराधिक गतिविधियों में बढ़ोत्तरी होगी वही सरकार को राजस्व में बड़ा घाटा उठाना पड़ेगा और शराब के व्यापार से जुड़े लोगों को अचानक रोज़गार की समस्या हो जाएगी.
आशा करते है मुख्यमंत्री नरेन्द्र फडनवीस शराब बंदी के बारे में उचित सोच विचार करके निर्णय लेंगे.