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अफगानिस्तान कभी भारत का ही अंग था जब तक मुस्लिम वहां नहीं आये थे ! मैं जो कहूँगा सच कहूँगा, सबूतों के दम पर कहूँगा

आज की पीढ़ी पर शायद इतना वक़्त नहीं बचा हुआ है कि वह भारत के इतिहास को खोजे और असलियत सबके सामने लाये.

आज हम वही पढ़ रहे हैं जो या तो विदेशी मूल के मुस्लिमों ने लिखा है या अंग्रेजों ने.

हमारे अपने इतिहास को तो हम भूल ही चुके हैं. कोई उस ओर बात भी करता है तो वह बेवकूफ करार दे दिया जाता है.

तो आइये आज पढ़ते हैं एक ऐसी सच्चाई जो साबित करेगी कि कभी भारत का साम्राज्य अफगानिस्तान तक हुआ करता था.

अफगान + स्थान , स्थान शब्द अरबी या अन्य भाषा में नही है.

यह संस्कृत शब्द है। कोई भी देश का नाम उसकी भाषा में ही होता है. स्थान शब्द से यह तथ्य स्पष्ट होता है की वहां संस्कृत भाषा के बहुसंख्यक लोग थे जिन्होंने अपने देश का नाम ऐसा रखा.

आइये अब एक और सबूत देखते हैं

महाभारत का युद्ध  उसमे दुर्योधन की माँ थी गंधारी  जो गांधार के राजा की बेटी थी. गांधार आज के अफगानिस्तान में है.

अफगानिस्तान की हिंदकुश पर्वत माला

हिन्दूकुश पर्वत, क्या कोई इस्लामिक देश इस तरह का नाम रखेगा?

और कहते हैं कि यहाँ पर एक समय में हिन्दुओं का कत्ले आम किया गया था. लेकिन आज तक यह किसी ने नहीं बताया कि हिन्दू लोग यहाँ पर लाये गये थे. निश्चित रूप से वह लोग यहाँ रहते ही थे.

इतिहास की पुस्तकों में भी अफगानिस्तान के भारत का ही एक हिस्सा होने के सबूत मिलते हैं. आप अगर पुस्तक ‘मुस्लिम शासक और भारतीय जन समाज’ पढ़ते हैं तो आप यह सच जान सकते हैं.

अफगानिस्तान की ओर मौर्य शासक चन्द्रगुप्त मौर्य ने विशेषरूप से ध्यान दिया था. सम्राट अशोक के काफी लेख यहाँ पर देखे जा सकते हैं. ह्युन्सांग जो एक चीनी यात्री था उसने भी अफगानिस्तान को लेकर जो बातें कहीं है उससे साफ़ पता चलता है कि वहां बोद्ध और सनातन धर्म था.

इस्लाम के आक्रमण पहले अफगानिस्तान पर नहीं हुए थे बल्कि बैक्टीरिया व बुखारा पर हुए थे.

काबुल पर आक्रमण  650 ई. बताया जाता है. 755 ई. के आसपास खलीफा ने अफगानिस्तान जीतने की कोशिश शुरू कर दी थी. धीरे-धीरे भारतीय मूल और धर्म के लोग यहाँ लड़ते-लड़ते टूटने लगे और इनका यहाँ कत्ले आम किया गया.

हम यहाँ किसी धर्म के ऊपर ऊँगली नहीं उठा रहे हैं अपितु जिन लोगों ने कभी हिन्दुकुश में कत्ले आम किया था वह तो विदेशी मूल के इस्लामिक लोग थे. उनक खून और उद्देश्य एक दम अलग था.

Chandra Kant S

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Chandra Kant S

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