उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उत्तराखंड राज्य सरकार को एडवेंचर स्पोर्ट्स रिवर राफ्टिंग, पैरालाइडिंग और अन्य जल खेलों को दो सप्ताह तब तक के लिए बंद करने के आदेश दिये।
ये रोक तब तक के लिए लगाई गई है जब तक प्रशासन इन गतिविधियों में शामिल पर्यावरण और लोगों, दोनों की सुरक्षा के उद्देश्य से उन्हें नियंत्रित करने के लिए कोई नीति नहीं तैयार करता है।
हाईकोर्ट के इस फैसले से एडवेंचर स्पोर्ट्स के कारोबार और कारोबारियों दोनों को फर्क पड़ा है, साथ ही इन कारोबारों से जुड़े उद्यमियों की चिंता बढ़ गई है। सभी उद्यमियों अपने कारोबार पर लगी रोक को लेकर काफी चिंता में है। दरअसल इस समय स्कूलों की छुट्टियों और गर्मी के चलते काम धड़कले से चलता है और ऐसे समय पर काम में रोक के आदेश ने कारोबारियों की मुश्किलें बढ़ा दी है। कोर्ट के इस आदेश के चलते भीमताल, कायकिंग, पैराग्लाडिंग पांडेगांव, जोरिंग आदि बंद होने से शहरी और ग्रामिण क्षेत्रों से जुड़े प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से एक हजार से ज्यादा लोग बेरोजगार हो गए है।
हाई कोर्ट से जारी इस आदेश के चलते आने वालें दो हफ्तों तक प्रदेश की सभी नदियों के वॉटर स्पॉट्स बंद रहेंगे।
जस्टिस राजीव शर्मा और लोकपाल सिंह की पीठ ने ये रोक ऋषिकेश के समाजिक कार्यकर्ता हरिओम कश्यप द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए लगाई। याचिकाकर्ता हरिओम कश्यप ने अपनी जनहित याचिका में कहा था कि सरकार ने साल 2014 में भगवती काला और विरेन्द्र सिंह गुस्साई नाम के दो व्यक्तियों को राफ्टिंग कैप लगाने के लिए कुछ नियम व शर्तों के साथ यह लाइसेंस दिय थे, लेकिन इन्होंने शर्तो का उल्घंन करते हुए राफ्टिंग के नाम पर गंगा के किनारे कैंप लगाना शुरू कर दिया है। गांगा नदी के किनारे मांस मदिरा का खान-पान, व साथ ही तेज आवाज के साथ डीजे बजाना भी शुरू कर दिया है। साथ ही गंदा पानी व कूड़ा-करकट भी नदी में फेंक जाते है। इन्हीं सब उल्घनों के चलते हरिओम कश्यप ने अपनी जनहित याचिका दायर की, जिसके बाद कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इस पर सुनवाई कर संज्ञान लिया।
कोर्ट ने अपनी सुनवाई में जहां एक और इस तरह के सभी कारोबार पर प्रदेश में रोक लगाने को कहा, तो वहीं कोर्ट ने कारोबारियों को फटकार भी लगाई। कोर्ट ने कहा- “खेल गतिविधियों के नाम पर अय्याशी करने की स्वीकृति नहीं दी जा सकती”
तस्वीरे देख भड़क गए हाई कोर्ट के जज
भीमताल, कायकिंग, पैराग्लाडिंग पांडेगांव, जोरिंग आदि की तस्वीरें देख हाईकोर्ट ने कहा कि “हम नदी के पानी के अंदर पिकनिक आयोजित करने वाले लोगों को देख सकते है, वो नदी में मदिरा का सेवन कर रहे हैं। यह सब देखकर साफ हो गया है कि गंगा नदी की पवित्रता का ध्यान नहीं रखा जा रहा है।” कोर्ट ने कहा कि अनधिकृत गतिविधियों को नियंत्रित करने व उस पर रोक लगाने से राज्य सरकार अपने कर्तव्यों से मुंह नहीं मोड़ सकती। राज्य सरकार को इन सब बातों पर ध्यान देना होगा।
एडवेंचर स्पोर्ट्स – रिवर राफ्टिंग, पैराग्लिंग विनियमित नहीं होने पर भी उतना ही खतरनाक है। टिहरी बांध जैसी बड़ी झील में वॉटर स्पोर्ट्स घातक साबित हो सकते है। इन्हें सही व सुचारी ढंग से कार्य करने की आवश्यकता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह बेहद चौकाने वाली बात है कि राज्य सरकार ये जानते हुए कि इन सभी गतिविधियों से आस-पास के क्षेत्रों के पर्यावरण को नुकसान हो रहा है ये जानते हुए भी वॉटर बेड्स पर कैम्पिंग की अनुमति दे रही है।
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