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एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर पर सिर्फ पुरुषों को सजा, महिलाओं को क्यों नहीं? जानिए एडल्ट्री कानून से जुड़ी बातें

एडल्ट्री कानून

एडल्ट्री कानून – एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर अब कोई नई बात नहीं रह गई है, खासतौर पर शहरों में तो यह बहुत आम बात बन चुकी है.

महिला और पुरुष दोनों ही शादीशुदा होने के बावजूद किसी और से संबंध बनाते हैं, मगर इस मामले में जो कानून है जिसे एडल्ट्री कानून कहा जाता है वो सिर्फ पुरुषों को सजा देता है, महिलाओं को नहीं, इसलिए इन दिनों इस एडल्ट्री कानून पर ही बहस छिड़ी हुई है.

दरअसल, बहस इस बात को लेकर हो रही है कि अगर कोई पुरुष किसी शादीशुदा महिला के साथ संबंध बनाता है, उस महिला के पति की अनुमति के बगैर तो वह सजा का हकदार है, लेकिन सजा सिर्फ उस पुरुष के लिए ही है जिसने संबंध बनाए हैं, महिला को अपराध मुक्त रखा गया है.

ऐसे में  सोशल एक्टिविस्ट जोसेफ शाइन ने कोर्ट में याचिका दायर करके कहा कि या तो पुरुष के साथ-साथ महिला को भी आइपीसी की धारा 497 यानि कि ‘व्यभिचार’ (एडल्ट्री) के मामले में सजा दी दिया जाए, क्यूंकि गलती अगर की गई है तो आपसी सहमति से की गई है. ऐसे में सिर्फ पुरुष ही क्यों दोषी हो?

महिला क्यों नहीं?

नहीं तो फिर इस कानून को ही खत्म कर दिया जाए.

फिलहाल इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से फैसला आना बाकी है, मगर केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि धारा 497 को खत्म नहीं किया जा सकता, ऐसा करने से विवाह नामक संस्था खतरे में पड़ जाएगी. जिस एडल्ट्री कानून पर कोर्ट में बहस छिड़ी हुई है आखिर हो है क्या चलिए आपको बताते हैं.

क्या है एडल्ट्री कानून ?

एडल्ट्री कानून के तहत किसी शादीशुदा महिला से उसके पति की मर्ज़ी के बिना संबंध बनाने वाले पुरुष को पांच साल की सज़ा हो सकती है. दरअसल, एडल्ट्री यानी व्यभिचार की परिभाषा तय करने वाली आईपीसी की धारा 497 में सिर्फ पुरुषों के लिए सज़ा का प्रावधान है. महिलाओं पर कोई कार्रवाई नहीं होती है. जबकि एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर में महिलाएं भी शामिल रहती हैं.

एडल्ट्री कानून के खिलाफ याचिका

केरल के जोसफ शाइन ने इस कानून के खिलाफ याचिका दायर की और कहा कि 150 साल पुराना यह कानून आज के दौर में बेमतलब है. ये उस समय का कानून है जब महिलाओं की स्थिति बहुत कमजोर थी. इसलिए, व्यभिचार यानी एडल्ट्री के मामलों में उन्हें पीड़ित का दर्जा दे दिया गया, मगर आज औरतें पहले से मज़बूत हैं. अगर वो अपनी इच्छा से दूसरे पुरुष से संबंध बनाती हैं, तो मुकदमा सिर्फ उन पुरुषों पर ही नहीं चलना चाहिए, बल्कि औरतों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए, ऐसा न करना समानता के अधिकार के खिलाफ है.

एडल्ट्री कानून का मुद्दा बहुत ही पेचीदा है और ये महिलाओं के हक से भी जुड़ा है. ये बात सच है कि महिलाएं भी पति को धोखा देती है, मगर ज़्यादा संख्या तो पुरुषों की है. ऐसे में कोर्ट क्या फैसला लेती है इस पर सबकी निगाह रहेगी.