व्यभिचार यानि की एडल्टरी जिसे लेकर इस समय पूरे देश में घमासान मचा हुआ है और ऐसा हो भी क्यों ना आजकल ये सब चीज़ें इतनी आम हो गईं हैं कि दफ्तर हो या घर-परिवार हर जगह इस तरह के रिश्ते पनप रहे हैं। ऐसे में देश में इस मुद्दे का गरमाना तो बिलकुल सही बनता है।
आईपीसी धारा 497 की वैधानिकता पर सुप्रीम कोर्ट में मंथन शुरु हो गया है। इस धारा के तहत दूसरे की पत्नी से शारीरिक संबंध बनाने पर पुरुष व्याभिचार का दोषी है लेकिन उसका साथ देने वाली महिला दोषी नहीं है।
आज के क्या हाल हैं ये तो आपको पता ही है लेकिन प्राचीन काल में व्याभिचार को लेकर क्या नियम थे, क्या आपने कभी ये सोचा है ?
आज इस पोस्ट के ज़रिए हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि प्राचीन काल में व्याभिचार के क्या नियम और दंड था।
यहूदियों की बेवफाई नहीं थी अपराध
प्राचीन काल में यहूदी पुरुषों की बेवफाई को अपराध नहीं माना जाता था लेकिन अगर कोई महिला ऐसा कोई कृत्यकरे तो उसे अपराध की श्रेणी में रखा जाता था। उस समय बनाए गए धार्मिक कानून के अनुसार शादी के समय लड़की का वर्जिन होना जरूरी था जबकि पुरुषों को किसी दूसरे की पत्नी के साथ संबंध रखने की मनाही थी। अब समय बदल चुका है और अब महिला एवं पुरुष दोनों के लिए ही समान कानून है। एडल्टरी के मामले में यहूदी दंपत्ति आपसी सहमति से अपने रिश्ते को खत्म कर सकती है।
रोम और यूनान का हाल
प्राचीन समय में इन देशों में सेक्स को लेकर पुरुष बहुत एक्टिव थे और उनकी एक नहीं बल्कि कई पत्नियां होती थीं और वो अलग-अलग महिलाओं से भी संबंध रखते थे। उस दौर में पुरुष और महिलाओं दोनों के लिए ही एडल्टरी आम बात थी।
ईसाई धर्म में 11वीं सदी तक पादरियों के लिए ब्रह्मचारी होना जरूरी था। शुरुआती ईसाई धार्मिक नेताओं ने यहूदियों की सख्तसेक्शुअल संहित को लागू किया। बाद में ब्रह्मचर्य को आदर्श मानना शुरु कर दिया गया। उस समय महिला और पुरुषों दोनों के लिए ही एडल्टरी को अपराध की श्रेणी में रखा गया था।
वर्तमान समय में पश्चिमी देशों में धार्मिक रूप से व्याभिचार को अपराध माना गया है लेकिन फिर भी यहां कई वर्गों में बहु विवाह की प्रथा जारी है और कई पत्नियां रखी जाती हैं।
ईसाईयों की मोरमोन कम्युनिटी में एक पुरुषें को कई बीवियां रखने की अनुमति है। इनके अपने अलग गिरजाघर हैं और अफ्रीका और हिमालय में ऐसे कई वर्ग और कबीले हैं जहां पर महिलाएं एक नहीं बल्कि कई पति रखती हैं।
भारत की पौराणिक कथाओं में भी आपको ऐसे कई किस्से मिल जाएंगें जो अवैध संबंधों के कारण मशहूर हुए। हिंदू धर्म में अवैध संबंध को घोर पाप और बेईमानी की श्रेणी में रखा गया है। हिंदू धर्म और भारत में शादी को एक पवित्र रिश्ता माना गया है और एक से अधिक पत्नी रखना या अवैध संबंध बनाना उचित नहीं माना जाता है।
प्राचीन समय में पुरुषों को अवैध संबंध बनाने और एक से ज्यादा शादी करने की अनुमति थी लेकिन समय के साथ इस पंरपरा को खत्म कर दिया गया।