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आदित्य बिड़ला को 70 अरब रुपये महंगा पड़ा ‘मोर’

मोर

आदित्य बिड़ला का मोर बिक गया है।

‘मोर’, आदित्य बिड़ला समूह की कंपनी आदित्य बिड़ला रिटेल की सुपरमार्केट चेन थी जिसे अमेजन और समारा कैपिटल ने मिलकर खरीदा है। यह सौदा लगभग 4200 करोड़ रुपए में हुआ है। अमेजन और समारा कैपिटन ने मिलकर इस सुपरमार्केट चेन को खरीदा है। इसमें अमेजन की हिस्सेदारी 35 फीसदी है और समारा कि 65 फीसदी हिस्सेदारी रहेगी।

बाद में बढ़ेगी अमेजन की हिस्सेदारी

मोर

जैसा कि हर कोई जानता है कि अमेजन के मालिक जेफ बेजॉस कभी भी कम में या नुकसान उठाकर कोई बिजनेस नहीं करते हैं। तो फिलहाल इस पर भी भरोसा करना मुश्किल है कि अमेजन इस सुपरमार्केट चेन को कम हिस्सेदारी में खरीदकर संतुष्ट कैसे हो गए होंगे?
तो आपका मानना सही है।बाद में भविष्य में अमेजन की हिस्सेदारी बढ़कर 49 फीसदी तक जाएगी।

बीते बुधवार को यह सौदा पूरा हुआ था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आदित्य बिड़ला रिटेल और अमेजन-समारा के बीच यह सौदा बुधवार को हुआ है। हालांकि, यह सौदे कंपीटीशन कमीशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) की मंजूरी के बाद ही पूरा होगा जिसमें अभी थोड़े दिन लगेंगे।

क्या है ‘मोर’?

मोर

‘मोर’ एक सुपरमार्केट चेन है जो आदित्य बिड़ला का सपना भी माना जाता है। ‘मोर’ भारत की चौथी सबसे बड़ी सुपरमार्केट चेन भी थी ‘मोर’ स्टोर दो फॉर्मेट था- एक सुपरमार्केट और दूसरा हायपरमार्केट। इसमें 590 सुपरमार्केट हैं और 23 हायपरमार्केट हैं। इतने सारे मार्केट एक साथ खुलने के कारण माना जा रहा था कि ये सफल रहेगा। लेकिन जैसा हमेशा सपना देखा जाता है वैसा ही हमेशा नहीं होता है। ‘मोर’ के साथ भी ऐसा ही हुआ।

कुमार मंगला बिड़ला परिवार के पास बड़ी हिस्सेदारी

इस सुपरमार्केट मोर में आदित्य बिड़ला समूह की रिटेल कंपनी है जिसके कारण इसमें सबसे बड़ी हिस्सेदारी कुमार मंगला बिड़ला परिवार की है। 590 सुपरमार्केट और 23 हायपरमार्केट होने के कारण इस तरह कंपनी के पास कुल 20 लाख वर्ग फुट का रिटेल स्पेस था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस कंपनी में 60 फीसदी हिस्सेदारी कनिष्ठा फाइनेंस एंड इन्वेस्टमेंट और 32 फीसदी हिस्सेदारी आरकेएन रिटेल की है। बताया जाता है कि यह दोनों कंपनियां कुमार मंगला बिड़ला और उनके परिवार को लोगों के नाम पर हैं।

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लगातार बढ़ रहा था कर्ज

‘मोर’ जितनी बड़ी सुपरमार्केट थी उससे उतना फायदा नहीं हुआ। इससे निरंतर घाटा बढ़ता गया जिससे कर्ज बढ़ता गया। गौरतलब है कि अच्छा मुनाफा नहीं होने के कारण ‘मोर’ सुपरमार्केट की ऑपरेटिंग कंपनी आदित्य बिड़ला रिटेल 2017 में भारी कर्जे चली गई थी। 2017 में एबीआरएल को 20 फीसदी की बढ़ोत्तरी के साथ 4194 करोड़ रुपए की आमदनी हुई थी। इसी वित्त वर्ष में कंपनी को 644 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था।

6573 करोड़ रुपए का कर्ज था कंपनी पर

‘मोर’ के कारण कंपनी पर 6573 करोड़ रुपए का कर्ज हो गया था जिसके कारण कंपनी को 471 करोड़ रुपए का ब्याज देना पड़ता था।

मोर

बाजार के विशेषज्ञों का मानना है कि 10 साल पहले त्रिनेत्र-फैबमॉल और दो साल पहले जुबिलेंट की टोटल सुपर स्टोर के अधिग्रहण के कारण एबीआरएल के कर्ज में बढो़तरी हुई। इस बढ़ते कर्ज को कम करने के लिए कुछ महीने पहले कुमार मंगलम बिड़ला और उनके परिवार ने 2800 करोड़ रुपए के फूड और ग्रॉसरी बिजनेस से जुड़े बॉन्ड को शेयर में बदल दिया था। इससे कंपनी का कर्ज घट तो गया था लेकिन सुपरमार्केट का भविष्य उज्जवल नजर नहीं आ रहा था।

इस कारण ही आदित्य बिड़ला ने मोर को बेच दिया। इस सौद में आधित्य बिड़ला को 70 अरब रुपये का नुकसान हुआ है। अब देखना है कि अमेजन और समारा कैपिटल घाटे में चल रही इस कंपनी को कैसे उभारते हैं।