राजनीति

ये संकेत बता रहे हैं कि कश्मीर में शुरू होने वाला है आपरेशन मोदी !

सामने भले ही कुछ न नजर आ रहा हो लेकिन पर्दे के पीछे की गतिविधियों में तेजी बता रही है कि जम्मू कश्मीर को लेकर मोदी सरकार कोई बड़ा फैसला ले चुकी है.

इंतजार है तो बस उस घड़ी का जब इसकी घोषणा की जानी है.

दरअसल, कश्मीर के पत्थरबाजों के हौसले जिस प्रकार दिनोंदिन बढ़ते जा रहे हैं और उससे निपटने के मुख्यमंत्री महबूबा के तौर तरीकों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेहद खफा है.

केंद्र सरकार मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती से लगातार कहती रही है कि वह कश्मीर के पत्थरबाजों के खिलाफ सख्य कार्रवाई करें और नेशनल कॉन्फ्रेंस की राजनीति के दबाव में ना आएं.

लेकिन मुख्यमंत्री महबूबा की स्थिति इस पूरे मामले में एक कदम आगे तो दो कदम पीछे वाली है. भाजपा का कहना है कि पीडीपी कश्मीर के पत्थरबाजों से निपटने के बजाए तुष्टीकरण की राजनीति कर रही है.

क्योंकि कश्मीर को लेकर पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों अक्सर केंद्र सरकार को शिकायत करती रही है कि मुख्यमंत्री महबूबा की उलझन की वजह से सुरक्षा तंत्र तबाह हो रहा है. सुरक्षा बल या पुलिस जब भी पत्थरबाजों को गिरफ्तार करते हैं तो उन्हें छोड़ने के लिए उन पर राजनीतिक दबाव बनाया जाता है.

क्योंकि पत्थरबाजों में से कई पीडीपी के कार्यकर्ता होते हैं. जब पुलिस राजनीतिक दवाब में उनको छोड़ती है तो मुख्य विपक्षी दल नेशनल कॉन्फ्रेंस के समर्थक पत्थरबाज को छोड़ने का दवाब भी पुलिस पर रहता है. इन सबसे पत्थबाजों के हौसले बुलंद हो रहे हैं.

लिहाजा अब केंद्र सरकार ने कश्मीर को लेकर अपने तेवर सख्त कर लिए है. भाजपा के मंत्री चंद्र प्रकाश गंगा द्वारा यह कहना कि कश्मीर के पत्थरबाजों से सिर्फ गोली से निपटा जाना चाहिए बताता है कि कहीं न कहीं इसको लेकर भाजपा भी दवाब में हैं.

और अब वह पीडीपी से छुटकारा पाने के लिए सेफ पैसेज तलाश रही है.

क्योंकि जम्मू कश्मीर में भाजपा और पीडीपी के सूत्रधार भाजपा के महासचिव राम माधव द्वारा पत्थरबाजी रोकने और सैनिकों को बचाने के लिए सेना द्वारा एक पत्थरबाज को सेना के वाहन पर बांधकर ले जाने के फैसले की वकालत करना इस बात का साफ संकेत है कि अब दोनों ही दल तलाक लेने के मूड में है.

आपको बता दें कि पीडीपी नेता और राज्य के वित्त मंत्री हसीब द्रबू ने जम्मू स्थित भाजपा कार्यलय में राम माधव से मुलाकात की. वहीं राम माधव द्वारा राज्यपाल से भी मुलाकात करने को लेकर भी कयास लगाए जा रहे हैं कि दोनों ही दलों में अंदर खाने उठापटक चल रही है.

आपको बता दें कि यूं तो राज्य के हालात पहले से ही खराब थे लेकिन हाल में हुए श्रीनगर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कम वोटिंग ने केंद्र की मोदी सरकार के होश उड़ा दिए हैं.

यही कारण है कि इससे पहले वहां स्थिति और अधिक बिगड़े मोदी सरकार इसको लेकर कोई बड़ा कदम उठाने के विकल्प तलाश रही है. दोनों ही सहयोगी दल भाजपा और पीडीपी द्वारा सार्वजनिक व निजी दोनों ही रूप से एक-दूसरे के खिलाफ बयान देना उसी ओर संकेत करता है.

Vivek Tyagi

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