अस्थि विर्सजन – भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का हाल ही में 16 अगस्त की शाम को निधन हो गया ।
निधन के बाद 19 अगस्त को अटल बिहारी वाजपेयी का अस्थि विसर्जन उनकी बेटी नमिता दारा हरिद्वार में किया गया । इस दौरान वहां उत्तराखंड के सीएम त्रिवेदं सिंह रावत , यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ , भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और गृह मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद थे । अटल बिहारी वाजपेयी की अस्थि विसर्जन अभी देश के अलग – अलग राज्यों की नदियों में भी होना है लेकिन इसकी शुरुआत हरिद्वार से की गई ।
इस दौरान आपने कई टीवी रिपोर्टस को कहते भी सुना होगा कि अटल बिहारी वाजपेयी की अस्थि विसर्जन की शुरुआत हरिद्वार से इसलिए की गई है क्योंकि यहां अस्थि विर्सजन से आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है । और इस बीच आपके मन में ये ख्याल भी आया होगा कि आखिर नदी में ही क्यों अस्थि विर्सजन किया जाता है और हरिद्वार में अस्थि विसर्जन करने से कैसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है ?
ये हम सब जानते है स्नातक धर्म विश्व के सभी धर्मों में सबसे पुराना है जिसके कई अनोखे रीति रिवाज वैज्ञानिक रुप से भी मान्य है साथ ही स्नातक धर्म हमेशा ही मनुष्य को सही कर्म करने और मोक्ष की प्राप्ति का रास्ता बताता है ।
जिस वजह से स्नातक धर्म में गंगा नदी को विशेष स्थान दिया गया है । और कई लोग गंगा नदी के पानी को अमृत मानते है । हिंदु धर्म की पौराणिक कथाओँ के अनुसार राजा सागर के वंशज राजा भगीरथ ने घोर तप किया । क्योंकि राजा भागरीथ के पुरखों को धरती से मोक्ष की प्राप्ति नहीं हुई थी । जिस वजह से अपने पुरखों को मोक्ष प्राप्त कराने के लिए राजा भगीरथ ने कई वर्षों तक घोर तप किया ताकि वो मां गंगा को भगवान शिव की जटाओँ से धरती पर ला सकें । लेकिन मां गंगा के तेज प्रवाह और प्रजंड धाराओँ को धरती नहीं सह सकती थी । जिस वजह वो भगवान शिव की जटाओं में समाई हुई थी । लेकिन भगीरथ के तप को देख भगवान शिव खुश हुए और वरदान में मां गंगा को अपनी जटाओं से प्रवाहित होते हुए धरती पर जाने दिया । गंगा राजा भगीरथ के पीछे – पीछे चलने लगी । इसी दौरान जब राजा भगीरथ पहुंचे तो वहां मौजूद उनके पुरखों की अस्थियां मां गंगा के स्पर्श मात्र से मोक्ष को प्राप्त हो गई । तभी से प्रथा चल पड़ी की हरिद्वार में गंगा नदी में अस्थि विर्सजन से मोक्ष की प्राप्ति होती है ।
हालांकि लोग सिर्फ गंगा में ही नहीं देश की किसी भी नदी अपने परिजनों की अस्थि विर्सजन कर सकते है । ऐसा इसलिए क्यों माना जाता है कि अस्थियों और सूक्ष्म देह पर भूत प्रेत आसानी से नियत्रँण पा लेते है और इसका दुरुपयोग करते है जिसके कारण आत्मा को मोक्ष नहीं मिल पाता । लेकिन नदी या समुद्र में अस्थि विर्सजन करने से से अस्थियां अलग – अलग हो जाती है जिसे भूत प्रेत करन के लिए कठिन हो जाता है ।
साथ ही जल को पवित्र माना जाता है जिस के पास कोई भी अनिष्टकारी शक्ति नहीं आ सकती । यही कारण है कि अस्थि विर्सजन जल में होता है ।
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