बाज़ार में कई सारे खाद्य तेल मौजूद हैं. ऐसे में दुविधा होती है कि कौन सा बेहतर है. टी.वी पर विज्ञापनों में हर तेल को ही अच्छा बताया जाता है. पुराने घरों में मूंगफली, सरसों, सूरजमुखी से खाना बनाया जाता है. वहीं, बाजारों में नए तेलों में केनोला, राइसब्रान और जैतून के तेल हैं.
कुछ वर्षों पहले तक इस बात का ही शोर हुआ करता था कि सैचुरेटेड फैट आपकी आर्टरी को चोक कर सकते हैं. आपको मोटा कर देंगे, लेकिन पिछले कुछ समय से ये देखने में आया है कि सैचुरेटेड फैट आपको वज़न कम करने में भी मदद करते हैं. उसके साथ ही ये दिल की सेहत के लिए भी अच्छे बताए गए हैं.
जब आप खाद्य तेल को खूब गर्म करते हैं तो उसमें से फैट्स और तेल के मॉलीक्यूलर स्ट्रक्चर में तेज़ी से बदलाव आता है. तब वे ऑक्सीडेशन की प्रक्रिया में आ जाते हैं और खुले में रखे रहने पर ऑक्सीजन के साथ ही रियेक्ट कर एल्डीहाइड्स और लिपिक पेरॉक्साइड बनाते हैं. गौरतलब है कि खाद्य तेल के गर्म होने के बाद ऑक्सीजन से रिएक्ट होने पर बनने वाला एल्डीहाइड्स को खाने या सूंघने मात्र से दिल के रोगों, डीमेंशिया और कैंसर का खतरा हो जाता है.
जिस खाद्य तेल में पॉलीअनसैचुरेट्स अच्छी मात्रा में होते हैं जैसे कि कॉर्न ऑइल, सूरजमुखी तेल आदि वे तेज़ी से एल्डीहाइड्स बनाते हैं. इनकी गति विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा बताए गए मानकों से 20 गुना अधिक है. बीज और वनस्पतियों के तेलों को भी हाई प्रोसेस्ड कर रीफाइंड में बदला जाता है. इसमें ओमेगा 6 फैटी एसिड्स खूब मात्रा में रहते हैं. इसमें खाना तो बनाना ही नहीं चाहिए. इस तरह के तेलों को अक्सर दिल के लिए सेहतमंद बताकर प्रचारित किया जाता है. हाल ही में हुए अध्ययन में पाया गया है कि इस तरह के तेलों में 0.56 से लेकर 4.2 फीसदी तक ट्रांसफैट्स होते हैं जो बेहद नुकसानदायक होते हैं. नए शोध एवं आंकड़े बताते हैं कि ये तेल गंभीर रोगों जैसे दिल के रोग, कैंसर आदि के कारण हैं.
दरअसल रिफाइंड ऑइल प्राकृतिक तेलों के ट्रीटमेंट से बनाया जाता है. इसमें कई तरह के केमिकल्स मिलाए जाते हैं. रिफाइंड ऑइल एक तरह से प्रोसेस्ड किया हुआ खाद्य तेल है. ये तेल पाचन और श्वसन तंत्र दोनों के लिए नुकसानदायक होता है. इसमें उपलब्ध केमिकल्स से कैंसर, डायबिटीज, दिल और किडनी की बीमारियां होने के आसार अधिक रहते हैं. रिफाइंड ऑइल के तरह ही सोयाबीन ऑइल, कॉर्न ऑइल कपास्या तेल, केनोला, सूरजमुखी, सेफ्लावर और राइसब्रान जैसे तेलों से भी खाने से बचना चाहिए.
अगर बात करें जैतून के तेल की तो ये एसिडिक होता है. इसमें ओमेगा- 6 और ओमेगा-3 फैटी एसिड्स का अनुपात सही नहीं पाया जाता. वहीं, ये दिल की बीमारी के रोगियों के लिए अच्छा कहा जा सकता है. इसी के साथ फलियों के तेल में भारी मात्रा में पॉलीअनसैचुरेटेड फैट्स होते हैं इसलिए ये खाना बनाने के योग्य नहीं माने जाते. मूंगफली के तेल का प्रयोग कम ही करना चाहिए क्योंकि इसकी प्रकृति भी एसिडिक होती है.
खाना बनाने के लिए सबसे अच्छे तेलों की बात करें तो क्रमशः नारियल तेल, तिल्ली का तेल और सरसों के तेल का नाम लिया जा सकता है. तो अगली बार जब आप बाज़ार खाद्य तेल खरीदने जाएं तो यहां लिखी जानकारियों को ज़रूर याद रखिएगा.
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