इतिहास

महाभारत में क्यों हुई थी अभिमन्यु की मृत्यु, आप नहीं जानते होंगे इसके पीछे की वजह

अभिमन्यु की मृत्यु – श्री कृष्ण से जुड़ी है ये कहानी

महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र की जमीन पर लड़ा गया था। महाभारत हमे लाइफ मैनेजमेंट से जुड़े कईं गुण भी सिखाता है। द्वापरयुग यानी महाभारत काल में एक से बढ़कर एक योद्धा हुए, जिनमें अभिमन्यु प्रमुख हैं।

अभिमन्यु से कईं रोचक कथाएं जुड़ी हैं जिनमें से एक के अनुसार, अभिमन्यु ने अर्जुन से चक्रव्यूह भेदने की कला तब सीखी थी जब वो अपनी मां के गर्भ में थे। ऐसा कहा जाता है कि चक्रव्यूह भेदने की कला केवल अर्जुन को ही आती थी और जब वो अपनी पत्नी सत्यभामा से ये कला साझा कर रहे थे उस समय अभिमन्यु गर्भ में थे और इस प्रकार उन्हे चक्रव्यूह भेदने की विद्या का ज्ञान हुआ। कहा जाता है कि इस पूरी लीला के पीछे श्री कृष्ण का हाथ था।

महाभारत में अभिमन्यु की मृत्यु किस प्रकार हुई, क्यों हुई और क्या ऐसा होना ज़रूरी था, ये भी कुछ ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब आप जानना चाहते होंगे, तो आइए आपको बताते हैं।

अभिमन्यु की मृत्यु –

दरअसल, अर्जुन पुत्र अभिमन्यु चक्रव्यूह भेदने के लिए उसमें अकेले ही घुस गए थे। अभिमन्यु पराक्रमी और ज्ञानी थे साथ ही उन्हे चक्रव्यूह भेदने की कला भी ज्ञात थी लेकिन ऐसा कहा जाता है कि चक्रव्यूह का अंतिम द्वार किस प्रकार टूटेगा, ये उन्हे ज्ञात नहीं था।

अभिमन्यु के चक्रव्यूह में प्रवेश करने के बाद 6 द्वार सफलतापूर्वक तोड़ दिए और कईं धुरंधरों को भी मार गिराया जिनमें जिनमें दुर्योधन का बेटा लक्ष्मण भी शामिल था। इसके बाद अभिमन्यु को मारने के लिए कौरवों ने युद्ध के

सभी नियमों को तोड़ दिया और दुर्योधन, जयद्रथ जैसे सात महारथियों ने मिलकर अकेले अभिमन्यु को घेर लिया। अभिमन्यु के रथ के टूटने के बाद भी अभिमन्यु रथ के पहिये से युध्द करता रहा लेकिन ये पर्याप्त नहीं हुआ और अंत में अभिमन्यु वीरगति को प्राप्त हुए।

कहा जाता है कि महाभारत के समय, सभी देवता अपने पुत्रों को पृथ्वीलोक पर अवतार के रूप में भेज रहे थे। ऐसे में चंद्रदेव के पुत्र अभिमन्यु के रूप में अवतार ले रहे थे पर चंद्रदेव अपने पुत्र से अधिक वियोग नहीं चाहते थे इसलिए अभिमन्यु को मात्र 16 साल की आयु ही ही गई थी।

श्री कृष्ण ने अभिमन्यु की मृत्यु को क्यों नहीं रोका, इसके पीछे वजह है कि अर्जुन कौरवों से युध्द करने में सकुचा रहे थे क्योकि वो सभी उन्ही के भाई थे, हालांकि युध्द तो चल रहा था लेकिन अपनों के खिलाफ लड़ने में अर्जुन का हृदय बार-बार विचलित हो रहा था। ऐसे में अभिमन्यु की मृत्यु ने इस पूरे युध्द को उलट दिया। अपने पुत्र की मृत्यु से व्याकुल हो, अर्जुन बाकी सभी बातें भूलकर पूरी दृढ़ता से साथ युध्द में उतर आए। ऐसा कहा जाता है कि श्री कृष्ण की युध्द नीति थी।

अभिमन्यु की मृत्यु – महाभारत, जो केवल एक धार्मिक ग्रन्थ नहीं है बल्कि हमें ज़िदंगी से जुड़ी कईं सीख भी देता है। महाभारत की कहानियां, इससे जुड़े प्रसंग आपने अक्सर टीवी पर देखे होंगे या किताबों में पढ़े होंगे, ये प्रसंग भी उन्ही में से एक है जिसके बारे में अभी हमने आपको बताया, इस कथाओं, किवदन्तियों पर विश्वास करना या ना करना आप पर निर्भर करता है।

Deepika Bhatnagar

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