आदिवासी घड़ी – हमारी जिंदगी में समय बहुत महत्व रखता है।
कहते हैं कि समय कभी लौटकर नहीं आता है। समय को अपनी मुट्ठी में करने के लिए ही शायद घडी बनाई गई है जो हमें हर वक्त हर पल गुज़रते हुए वक्त का अहसास कराती है।
ये तो आप भी जानते हैं कि वक्त कितना कीमती होता है। एक बार समय चला जाए तो फिर लौटकर नहीं आता है और आप बस हाथ मलते हुए रह जाते हैं। समय के बारे में एक और बात खास है और वो ये है कि समय गिनती के हिसाब से चलता है। जी हां, हम इंसानों ने अपनी सुविधा के लिए समय को गिनती के आधार पर बांट दिया है। जैसे कि 1 के बाद 2 बजेगा, 8 के बाद 9 और 9 के बाद 10 लेकिन भारत में एक ऐसा भी शहर है जहां पर 9 से पहले 10 बज जाते हैं।
हैरान हो गए ना, कि भला घड़ी में 9 ये पहले 10 कैसे बज सकते हैं। तो चलिए जान लेते हैं कि भारत की जगह पर ऐसा कैसे होता है।
गोधरा शहर का किस्सा
गुजरात में स्थित गोधरा शहर में रिटायर टीचर माथुर भेड़ी के घर में एक ऐसी खास घड़ी लगी है जिसे वो सबकों बड़े गर्व के साथ दिखाते हैं। इस घड़ी की दो खास बाते हैं। पहली बात कि इस पर आदिवासियों के हीरो बिरसा मुंडा की तस्वीर लगी है और दूसरी बात कि इस घड़ी को देखकर आपका दिमाग चकरा जाएगा क्योंकि इसकी सूई आम घडियों के विपरीत उल्टभ् यानि दाहिने से बाएं घूमती है।
बढ़ रहा है ऐसी घडियों का चलन
दक्षिण और मध्य गुजरात में ऐसी आदिवासी घड़ी का चलन बहुत तेजी से बढ़ रहा है। तापी जिले में आदिवासी कार्यकर्ता लालसिंगह गमित ने ही इस आदिवासी घडी का निर्माण किया है। उनका कहना है कि ये आदिवासी घड़ी लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हो रही है। पिछले दो सालों से अब तक 10 से 15 हज़ार घडियां बिक चुकी हैं।
उनका कहना है कि इस घड़ी को लोगों द्वारा पसंद किए जाने के कई कारण हैं। उनके मुताबिक आदिवासी प्रकृति और उसके तत्वों की पूजा करते हैं। होली और शादी में भी आदिवासी दाहिने से बाएं या यूं कहें कि घडी के विपरीत जाते हैं। इस घड़ी का प्रतिनिधित्व आदिवासी ही करते हैं वास्तव में यही सही दिशा है।
इसके निर्माणकर्ता को यह घड़ी कुछ समय पहले उनके एक दोस्त ने तोहफे में दी थी। इसे पाने के बाद उन्हे ये बहुत अच्छी लगी और उन्होंने फैसला किया कि वो इस तरह की और भी घडियां बनाएंगें।
उन्होंने ऐसी कई घडियां बनाईं और बेची और खास बात ये है कि लोगों को ये घडी पसंद भी बहुत आई। अब भले ही वो इसका इस्तेमाल समय देखने के लिए ना करें लेकिन इसे शोपीस की तरह सजाकर तो अपने घर में रख ही सकते हैं।
गुजरात के गोधरा शहर में इस उल्टी चलने वाली यानि आदिवासी घड़ी को बहुत पसंद किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि इसकी बिक्री भी बहुत होती है। अपने घर में लगाने के साथ-साथ लोग इसे तोहफे में भी दे सकते हैं।
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