एक महिला जो दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करने के लिए दिनभर खेतों में मजदूरी किया करती थी. जो कभी अनाथालय में रहते हुए पढ़ने के लिए नंगे पैर चलकर स्कूल जाती थी, वो अब अपनी उम्र और हैसियत दोनों से काफी बड़ी हो चुकी है. अब ना तो उसे दो वक्त की रोटी के लिए खेतों में मजदूरी करनी पड़ती है और ना ही उसे पैदल चलना पड़ता है क्योंकि अब वो एक सॉफ्टवेयर कंपनी की सीईओ है और मर्सिडीज बेंज से चलती है.
अब यहां ये सवाल उठना लाजमी है कि कभी 5 रुपये के लिए दिनभर खेत में मजदूरी करनेवाली महिला आज कैसे बन गई करोड़ों डॉलर की मालकिन, तो चलिए हम आपको बताते हैं उसकी मेहनत और लगन की यह प्रेरणादायक कहानी.
सॉफ्टवेयर कंपनी की सीईओ हैं ज्योति रेड्डी
दरअसल ये कहानी ज्योति रेड्डी नाम की एक ऐसी महिला की है जो कभी नंगे पांव पैदल चलकर स्कूल जाती थी. लेकिन अब वो मर्सिडिज बेंज से चलती है. इतना ही नहीं उनके पास 500 से ज्यादा साड़ियां और 30 से ज्यादा सनग्लासेस का कलेक्शन है.
ज्योति रेड्डी आज अमेरिका में एक सॉफ्टवेयर कंपनी की सीईओ हैं और ये सारी सुख-सुविधा की चीजें उनके लिए काफी छोटी है लेकिन उनके जीवन में एक ऐसा दौर भी था जब वो इन चीजों के लिए मोहताज थीं.
देश के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने एक बार कहा था कि राष्ट्र की प्रतिभाएं अक्सर क्लास में पीछे की सीट्स पर पाई जाती हैं और ज्योति ने अपनी मेहनत और लगन से यह साबित भी कर दिया.
कभी दो वक्त की रोटी के लिए थी मोहताज
ज्योति रेड्डी का जन्म वर्तमान के तेलंगाना स्थित वारंगल जिले में हुआ था. उनके पिता वेंकट रेड्डी पेशे से एक किसान थे. बताया जाता है कि ज्योति अपने परिवार में पांच बच्चों में दूसरी सबसे बड़ी लड़की थीं.
कहा जाता है कि ज्योति के परिवार वालों को हर रोज दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता था. जब वो नौ साल की थीं तभी उनके पिता ने उन्हें और उनकी छोटी बहन को एक अनाथालय में भेज दिया था, ताकि वहां रहकर उन दोनों को दो वक्त की रोटी मिल सके.
हालांकि ज्योति की छोटी बहन वापस अपने पिता के पास लौट आईं लेकिन ज्योति अनाथालय में ही रहीं. ज्योंति ने अनाथालय में रहकर ही पांचवी से लेकर दसवीं कक्षा तक पढ़ाई की. ज्योति को अनाथालय में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, यहां तक कि वो ढाई किलोमीटर नंगे पांव पैदल चलकर पढ़ने के लिए स्कूल जाती थीं.
वो हमेशा स्कूल में पीछे वाली सीट पर बैठा करती थीं क्योंकि उनके पास पहनने के लिए अच्छे कपड़े नहीं होते थे. वो स्कूली पढ़ाई के साथ ही वोकेशनल ट्रेनिंग भी लेती थीं ताकि काम करके अपने पिता की कुछ मदद कर सकें.
5 रुपये के लिए खेत में करती थीं मजदूरी
स्कूली पढ़ाई करने के साथ-साथ ज्योति अनाथालय की देखरेख करनेवाली सुप्रिटेंडेंट के घर पर काम किया करती थीं. लेकिन उन्हें हमेशा यह महसूस होता था कि अच्छी जिंदगी जीने के लिए उन्हें एक अच्छी नौकरी की जरूरत है.
ज्योति ने अपनी आगे की पढ़ाई के लिए अपनी सुप्रिटेंडेट से 110 रुपये उधार लिए और बायोलॉजी, फिजिक्स व केमेस्ट्री जैसे विषयों के साथ कॉलेज में एडमिशन ले लिया. लेकिन ज्योति के पिता ने 16 साल की उम्र में ही उनकी शादी अपने दूर के रिश्तेदार सम्मी रेड्डी के साथ कर दी.
ज्योति के पति सम्मी भी एक किसान थे लिहाजा ज्योति को भी खेतों में जाकर काम करना पड़ता था और दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करने के लिए वो दूसरे किसानों के धान के खेतों में काम करती थीं. जहां 10 घंटे तक काम करने के बदले उन्हें मेहनताने के रुप में सिर्फ 5 रुपये दिए जाते थे.
गौरतलब है कि ज्योति बचपन से ही संघर्ष करती आई हैं लेकिन उन्होंने अपने जीवन में आनेवाली हर समस्या का डटकर सामना किया और आज वो करोड़ों डॉलर की मालकिन हैं. वाकई साधारण परिवार से ताल्लुक रखनेवाली ज्योति की सफलता की ये कहानी एकदम असाधारण है.