कहते हैं यह जीवन बहुत ही छोटा है.
इसलिए इसे पूरी तरह से जीना बेहद ज़रूरी है.
हम कई बार कुछ चीजें जीवन में किसी न किसी कारण से छोड़ देते हैं. प्यार हमारे जीवन के लिए एक बड़ी ही ज़रूरी चीज़ है. जब हम जीवन की डगर पर चलते हैं तब एक ऐसा साथ अच्छा होता है जो कि आगे के रास्ते को सुन्दर और आसान बना देता है. बहुत से लोगों के माता-पिता जीवन में कुछ अप्रिय घटना के कारण साथ रहने में असमर्थ रहते हैं. लेकिन जीवन का नाम है चलते रहना. हर कोई जीवन की इस लम्बी डगर में एक साथी चाहता है.
वक़्त बदल रहा है और इसी के साथ लोगों की सोच भी. आजकल कई बच्चे अपने माता या पिता को पूरी तरह से समर्थन दे रहे हैं. बहुत सी बार ऐसा होता है कि माता या पिता की मृत्यु के कारण कोई भी एक व्यक्ति अकेला रहने को मजबूर हो जाता है. लेकिन हम हमेशा एक नई शुरुआत कर सकते हैं. और इसी के साथ हम बात करेंगें कैसे आपके माता या पिता के लिए एक बार फिर जीवन की नई शुरुआत हो सकती है.
आजकल बच्चे खुद अपने माता या पिता को इस बात के लिए पूरा सम्बल दे रहे हैं कि वे खुद अपने लिए दूसरा जीवन साथी चुन लें. यहाँ ये गौर करना ज़रूरी है कि इन लोगों का कोई गलत इरादा नहीं है, बस एक सोच यह है कि उम्र के इस पडाव पर जब एक से भले दो हो तो वक़्त आसानी से कट जाता है और जीवन कुछ सरल हो जाता है. बच्चे अपने खुद के जीवन में और भाग-दौड़ में इतना उलझे होते हैं और इसी के साथ वे भी इसी पक्ष में होते हैं कि उनके अकेले माता या पिता एक साथी के साथ बाकि का जीवन सजग तरह से बिताएं.
हिंदी फिल्मों में भी इसे बड़े ही साफ़ तरह से दिखाया गया है. अगर आपको याद हो तो ‘लगे रहो मुन्नाभाई’ में भी एक बुज़ुर्ग पारसी ८० की उम्र में एक बार फिर शादी करते हैं, उस औरत से जो उनका पहला प्यार था और कई सालों बाद वे लोग फिर मिले थे. दोनों के ही जीवन साथी स्वर्ग सिधार गए थे.
तो यह एक बड़ी सीधी सी बात है कि आज के इस दौर में जब कई लोगों को अकेलापन खलता है तो इस बात में कोई बुराई नहीं है जब कोई इस सफ़र में आकर आपका हाथ थाम ले. और वह उम्र जब लोग कहते हैं कि इंसान एक बार फिर बच्चा बन जाता है तो एक साथी आकर इसे कुछ और मजेदार बना सकता है. अपने पिछले जीवन को पूरा सम्मान देकर वे आगे के लिए एक नया रास्ता बना सकते हैं.