आज भले ही हमारा देश दुनिया के बाकी देशों के साथ विकास की पटरी पर तेज़ी से दौड़ रहा है. लेकिन इस इंडिया में आज भी एक भारत ऐसा बसता है जिसकी ज्यादातर आबादी आज भी खेती पर ही निर्भर है.
हमारे कृषि प्रधान भारत में आज भी अधिकांश लोगों की रोज़ी-रोटी खेती पर ही आश्रित है. आज के इस डिजीटल दौर में भी कभी अकाल व सूखे की मार तो कभी बाढ़ की मार से देश के किसान बेहाल हो जाते हैं. मौसम की बेरूखी और कर्ज के बोझ तले दबे हुए कई किसान निराश और हताश होकर मौत को गले लगाने पर मजबूर हो जाते हैं.
एक ओर जहां किसानी से लोग दूर भाग रहे हैं तो वहीं देश में कई ऐसे युवा भी हैं जो पढ़-लिखकर अच्छी नौकरी कर रहे हैं बावजूद इसके उनका रूझान खेती की तरफ बढ़ने लगा है और इसी वजह से वो अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़कर किसानी के पेशे को अपना रहे हैं.
आज हम आपको एक ऐसे शख्स से रूबरू कराने जा रहे हैं जो अच्छी खासी नौकरी को छोड़कर मछली पालन करने लगा और उसके इस अभियान से 500 से अधिक लोगों को रोज़ी-रोटी का ज़रिया भी मिला है.
नौकरी छोड़कर शुरू किया मछली पालन
दरअसल बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में रहनेवाले 35 वर्षीय शिवराज सिंह पहले नौकरी करते थे लेकिन उनका रूझान नौकरी से ज्यादा मछली पालन की ओर था इसलिए शिवराज ने अपनी नौकरी छोड़ दी और मछली पालन का काम शुरू किया.
इसके लिए शिवराज सिंह ने साल 2012 में किसानों से करीब 87 एकड़ ज़मीन लीज़ पर ली और उस जगह में मछली पालन करना शुरू किया. शिवराज ने इस ज़मीन पर मछली पालन के साथ-साथ फल और सब्जियां भी उगानी शुरू कर दी.
पूरे प्रोजेक्ट में खर्च किए 4 करोड़
आपको बता दें कि शिवराज सिंह ने 2007 में वेस्ट बंगाल यूनिवर्सिटी ऑफ एनीमल एंड फिशरीज यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन किया है. इसलिए उनकी दिलचस्पी शुरू से ही मत्स्य पालन में रही है.
बताया जाता है कि शिवराज सिंह ने इस पूरे प्रोजेक्ट पर चार करोड़ रुपए खर्च किए हैं जिसके लिए उन्होंने 96 लाख रुपए बैंक से लोन भी लिया है और अब वह जॉब क्रिएटर बन चुके हैं. उनके इस मुहिम को प्रारंभ करने से 500 से अधिक परिवारों को रोज़ी-रोटी का ज़रिया भी मिला है.
75 लाख से भी ज्यादा की हो रही है आमदनी
शिवराज सिंह को मछली, मछली के बीज, फल और सब्जियों के माध्यम से 75 लाख से भी ज्यादा की आय मिल रही है. हालांकि जब शिवराज ने मछली पालन की शुरूआत की थी तो शुरूआत के तीन सालों में मछलियों का उत्पादन बहुत कम हुआ था, लेकिन साल 2015 के बाद से उत्पादन में काफी बढ़ोत्तरी हुई है. बताया जाता है कि तालाब से निकालते ही उनकी मछलियां करीब 300 रुपये किलो तक बिक जाती हैं.
शिवराज की इस कामयाबी और मोटी आमदनी को देखकर मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर और वैशाली जिलें के कई किसानों ने भी मछली पालन शुरू कर दिया है.
गौरतलब है कि नौकरी को छोड़ने के बाद मछली पालन शुरू करके शिवराज सिंह ना सिर्फ मोटा मुनाफा कमा रहे हैं बल्कि 500 लोगों को रोजगार देकर उनकी रोजी-रोटी भी चला रहे हैं.
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