दुर्गा मां की मूर्तियां – अगले महीने से नवरात्र शुरू हो रहे है, पूरे देश में नौ दिन देवी दुर्गा की पूजा की जाएगी.
आपको बता दें कि दुर्गा पूजा की शुरुआत बंगाल से ही हुई थी, इसलिए यहां की दुर्गा पूजा पूरे देश में मशहूर हैं और पूजा की रौनक यहां बिल्कुल अलग ही होती है.
देश में सबसे ज़्यादा दुर्गा मां की मूर्तियां भी कोलकाता में ही बनती हैं.
दुर्गा मां की मूर्तियां –
दुर्गा पूजा के दौरान मां की जिन मूर्तियों की पूजा होती है उसे खासतौर से बहुत विधि-विधान से बनाया जाता है.
कोलकाता के कुमरटली इलाके में सबसे ज़्यादा मूर्तियां बनाई जाती हैं. मूर्ति बनाने के लिए मिट्टी कई जगहों से लाकर तैयार की जाती है. जैसे- गंगा के किनारे से, फिर इसमें गोबर, गौमूत्र और थोड़ी सी मिट्टी निषिद्धो पाली से मंगाकर मिलायी जाती है. अब आप सोचेंगे कि निषिद्धो पाली क्या है, दरअसल, ये वेशओं के रहने की जगह है जहां की मिट्टी का इस्तेमाल मां की मूर्ति बनाने में किया जाता है.
पश्चिम बंगाल में दुर्गा मां की मूर्तियां सबसे ज़्यादा उत्तरी कोलकत्ता के कुमरटली इलाके में बनाई जाती है. खासबात यह है कि यहां के सबसे बड़े रेडलाइट एरिया सोनागाछी से लायी गयी मिट्टी का इस्तेमा मूर्तियां बनाने में किया जाता है, सिर्फ कोलकाता ही नहीं, देश के अन्य हिस्सों में मूर्तियां बनाने वाले कारीगर भी यहां से मिट्टी ले जाते हैं. कहा जाता है कि प्राचीन काल में एक वेश्या मां दुर्गा की परम भक्त थी उसे तिरस्कार से बचाने के लिए मां ने स्वंय आदेश देकर उसके आंगन की मिट्टी से अपनी मूर्ति स्थापित करवाने की परंपरा शुरू करवाई और तब से यह परंपरा आजतक चली आ रही है.
इसके अलावा एक मान्यता ये भी है कि जब एक महिला या कोई अन्य व्यक्ति वेश्यालय के द्वार पर खड़ा होता है तो अंदर जाने से पहले अपनी सारी पवित्रता और अच्छाई को वहीं छोड़कर प्रवेश करता है, इसी कारण यहां की मिट्टी पवित्र मानी जाती है.
दुर्गा मां की मूर्तियां – दुर्गा पूजा के नौ दिन देवी के अलग-अलग रूप की पूजा होती है और कोलकाता में तो मां की बहुत भव्य मूर्तियां पंडालों में रखी जाती है. पंडालों की सजावट और लाइटिंग भी शानदार होती है. कई जगह पर थीम के हिसाब से पंडाल बनाए जाते हैं. वैसे तो पूरे देश में दुर्गा पूजा की रौनक होती है, लेकिन कोलकाता की दुर्गा पूजा की बात ही कुछ और है. रात भर लोग मां के दर्शनों के लिए पंडाल के बाहर लाइन लगाकर खड़े रहते हैं.