एससी एसटी समुदाय – देश में पिछले कुछ समय से काफी अंशाति का महौल देखने को मिल रहा है जिसकी बड़ी वजह एससी एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट दारा बदलाव करना और उसके बाद केंद्र सरकार दारा एससी एसटी एक्ट में किए बदलावों को बहाल करना है ।
एससी एसटी एक्ट क्या है, एससी एसटी एक्ट को लेकर देश में अशांति का महौल क्यों है ? और इस किसी तरह देश की राजनीतिक पार्टियां अपनी रोटी संके रही है ये सब समझने से पहले ये जानना जरुरी है कि एससी एसटी एक्ट क्या है और इसे क्यों बनाया गया ।
एससी एसटी क्या है
एससी एसटी एक्ट 1989 के तहत अगर कोई व्यक्ति जातिसूचक शब्द का इस्तेमाल करते हुए गाली गलौज करता है तो उसके खिलाफ तुरंत गिरफ्तारी का प्रावाधान है साथ ही इस एक्ट के तहत आरोपी को अग्रिम जमानत भी नहीं मिल सकती है इसके लिए केवल हाइकोर्ट से ही नियमित जमानत का प्रवाधान है । साथ ही इस एक्ट से जुड़े मामलों की जांच का अधिकार इंसपेक्टर रैंक के अधिकारी को है ।
एससी एसटी एक्ट क्यों बनाया गया
दरअसल मनु स्मृति के अनुसार हिंदु समुदाय में चार वर्ण माने जाते है – पंडित , क्षेत्रीय , वेश्या और क्षुद्र । मनु स्मृति में इन वर्णों को कर्म के आधार पर बाटां गया था यानी कि पढ़ाई , पूजा पाठ करने वाले पंडित, सबकी रक्षा करने वाले क्षेत्रीय, व्यापार करने वाले वेश्या और साफ सफाई करने वाले क्षुद्र ।लेकिन समय के साथ इन वर्णो को लोगों ने जन्म के आधार पर बांटना शुरु कर दिया । जिस वजह से क्षुद्र समुदाय के साथ अत्याचार बढ़ने लगा । कई वर्षों तक उन पर काफी अत्याचार हुआ उन्हें मंदिरों में आने नहीं दिया जाता था, उनके रहने का स्थान अलग होते थे, पानी के लिए भी अलग स्थान दिया गया था । जिस वजह से वो अपने अधिकारों से वंचित हो गए । उनकी शिक्षा और दूसरे मुल अधिकारों का हनन हुआ । लेकिन आजादी के बाद इस वर्ग को आगे लाने के लिए संविधान में एससी एसटी वर्ग को आरक्षण दिया गया । साथी ही इन्हें कानूनी रुप से सुरक्षा देने के लिए एससी एसटी एक्ट का प्रवाधान रखा गया । ताकि कोई इनका इनकी जाति को लेकर इनका हनन न कर सकें ।
एससी एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट ने क्यों किया था बदलाव
दरअसल एससी एसटी एक्ट के तहत गिरफ्तारी का प्रवाधान है साथ ही जमानत भी आसानी से नहीं मिलती है । सुप्रीम कोर्ट के अनुसार इस एक्ट के तहत पिछले कई सालों हजारों फर्जी केस दर्ज हुए हैं जिनसे कई लोगों की जिंदगी बर्बाद हुई है । महाराष्ट्र की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस एक्ट दुरुपयोग पर दुख जताया था साथ ही इस एक्ट में कुछ बदलाव करने के आदेश दिए थे । नए बदलाव के तहत एससी एसटी एक्ट में तुरंत गिरफ्तारी के प्रवाधान को हटा दिया गया था। यानी जब तक आरोपी पर लगा आरोप सिद्ध नहीं हो जाता उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सकता, साथ ही मैजिस्ट्रेट कोर्ट से जमानत का प्रवाधान किया था । साथ ही इस एक्ट से जुड़े केसस की जांच का अधिकार वरिष्ठ पुलिस अधिकारी या एससपी रैंक के अधिकारी को दिया गया था ।
एससी एसटी समुदाय ने जताई नए नियमों पर नाराजगी
लेकिन कोर्ट के फैसले के बाद इस साल अप्रैल में एससी एसटी एक्ट का आक्रोश भारत बंद के जरिए देखने को मिला था । दरअसल एससी एसटी एक्ट का कहना था कि एक्ट में बदलाव के बाद उन पर अत्याचार बढ़ जाएंगे । और उनका फिर से शोषण किया जाएगा । जिस वजह एससी एसटी समुदाय ने अपना आक्रोश पूरे देश में जगह – जगह धरना प्रर्दशन कर दिखाया ।
केंद्र ने बदला कोर्ट का फैसला, सवर्ण हुए नाराज
एससी एसटी समुदाय के आक्रोश को देखते हुए केंद्र सरकार ने पुराने नियमों को दोबारा से लागू करने का फैसला किया और सह सहमति से कोर्ट के फैसले को बहाल कर दिया जिसके बाद सरकार सवर्णों की नाराजगी का सामना करना पड़ा । दरअसल मौजूदा भाजपा सरकार ने ही सत्ता में आने से पहले एससी एसटी एक्ट में बदलाव का वादा किया था । लेकिन सरकार के कोर्ट के फैसले को बहाल करने के बाद सवर्ण सरकार से नाराज हो गए। सवर्णों के अनुसार इस एक्ट के तहत उनके खिलाफ फर्जी केस दर्ज कराए जाते है ।
हालांकि सवर्णों, एससी एसटी समुदाय के बीच दरार डाल देश की राजनीतिक पार्टियां अपनी रोटियां सेकने से नहीं थक रही है । विपक्ष इसे लेकर सरकार पर देश बांटने का आरोप लगा रही है हालांकि किसी भी समुदाय के पक्ष में खुलकर नहीं बोल रही है क्योंकि वो किसी भी समुदाय का वोट बैंक खोना नहीं चाहती है ।